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भोजपुरी गायक पवन सिंह ने भाजपा के शीर्ष नेताओं और राजग के उनके सहयोगी कुशवाहा से मुलाकात की

नयी दिल्ली, 30 सितंबर (भाषा) भोजपुरी अभिनेता और गायक पवन सिंह ने मंगलवार को भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के वरिष्ठ नेताओं अमित शाह और पार्टी अध्यक्ष जे पी नड्डा के अलावा बिहार के उनके सहयोगी उपेंद्र कुशवाहा से मुलाकात की। इसे बिहार विधानसभा चुनाव से पहले सत्तारूढ़ गठबंधन की सामाजिक समीकरण साधने की कोशिश के रूप में देखा जा रहा है।

उन्होंने सबसे पहले राष्ट्रीय लोक मोर्चा (आरएलएम) के अध्यक्ष कुशवाहा से मुलाकात की, जिन्हें 2024 के लोकसभा चुनावों में पवन सिंह के काराकाट से निर्दलीय चुनाव लड़ने के फैसले के कारण हार का सामना करना पड़ा था। उनके साथ भाजपा महासचिव विनोद तावडे और पार्टी सचिव ऋतुराज सिन्हा भी थे।

इन मुलाकातों से लोकसभा चुनावों में मिली हार के बाद राजग में सिंह की वापसी का संकेत मिल रहा है। हालांकि, दोनों पक्षों ने जोर देकर कहा कि वह भाजपा में ही बने हुए हैं।

बिहार में भाजपा के संगठनात्मक प्रभारी तावडे ने कहा कि पवन सिंह भाजपा में हैं और राज्य में सत्तारूढ़ राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) के लिए सक्रिय रूप से काम करेंगे।

पवन सिंह ने बाद में शाह और नड्डा से मुलाकात की। शाह नवंबर में होने वाले बिहार विधानसभा चुनावों के लिए राजग के प्रचार अभियान में सक्रियता से शामिल हैं।

सिंह ने तावडे की बात दोहराते हुए कहा कि वह भाजपा में हैं। वह चुनाव लड़ने की अपनी महत्वाकांक्षा के बारे में मुखर रहे हैं और लोकसभा चुनावों में उनके विरोध से राजग को नुकसान पहुंचने के बाद विधानसभा चुनावों में उन्हें फिर से मैदान में उतारा जा सकता है।

तावडे ने कहा कि कुशवाहा ने सिंह को आशीर्वाद दिया है। सिंह की कुशवाहा से मुलाकात का उद्देश्य स्पष्ट रूप से भाजपा के सहयोगी दल के नेता और राज्यसभा सदस्य को मनाना था, क्योंकि भाजपा 2024 के अपने अनुभव की पुनरावृत्ति को रोकने की कोशिश कर रही है।

लोकप्रिय भोजपुरी गायक को भाजपा ने पहली बार 2024 में पश्चिम बंगाल के आसनसोल से मैदान में उतारा था। हालांकि बाद में पार्टी ने उन पर यह आरोप लगने के बाद उन्हें चुनाव मैदान से हटने के लिए दबाव डाला कि उनके संगीत वीडियो और गीतों में बंगाली महिलाओं को अभद्र तरीके से दिखाया गया है।

पार्टी द्वारा बिहार से टिकट देने से मना करने के बाद, राजपूत जाति से आने वाले पवन सिंह ने काराकाट सीट से निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ा। उच्च जातियों का एक वर्ग, खासकर राजपूत, उनके समर्थन में एकजुट हो गया, जिससे क्षेत्र के कुशवाह समुदाय में नाराजगी फैल गई और भाजपा के नेतृत्व वाले राजग को कुछ सीटों का नुकसान उठाना पड़ा।

काराकाट लोकसभा चुनाव में उपेंद्र कुशवाहा तीसरे स्थान पर रहे और यह सीट भाकपा (माले) ने जीती।

जहां राजपूत समुदाय के लोगों को मुख्य रूप से भाजपा का मतदाता माना जाता है। वहीं कुशवाहा, जो यादवों के बाद सबसे बड़ी संख्या वाला अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) समुदाय है, लंबे समय से भाजपा की सहयोगी जनता दल (यूनाइटेड) का समर्थक माना जाता रहा है।

भाषा तान्या वैभव

वैभव