वर्तमान में प्रदेश के 39 वन प्रभागों में कुल 104.54 वर्ग किलोमीटर जंगल पर अतिक्रमणकारी काबिज हैं। सवाल यह है कि कब्जा एक दिन में तो हुआ नहीं और अगर धीरे-धीरे हुआ तो वन अधिकारी कहां थे? और क्या कर रहे थे? उनकी नजर क्यों नहीं पड़ी? इन सवालों का जवाब किसी के पास नहीं है। आज वन मंत्री तक कब्जाधारियों से मिलीभगत पाए जाने पर वन कर्मियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की बात कह रहे हैं लेकिन कब्जे क्यों होने दिए इसका किसी के पास जवाब नहीं है।