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पॉल्यूशन फेफड़ों के साथ-साथ दिल को भी करता है डैमेज, जानिए कैसे करें बचाव

आजकल बढ़ते प्रदूषण के कारण हमारे स्वास्थ्य पर कई नकारात्मक असर हो रहे हैं। हम अक्सर सुनते हैं कि प्रदूषण का सबसे ज्यादा असर हमारे फेफड़ों पर पड़ता है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि यह दिल (हृदय) पर भी गंभीर प्रभाव डाल सकता है? हां, यह सच है! प्रदूषण केवल हमारी सांसों को प्रभावित नहीं करता, बल्कि यह दिल की सेहत को भी नुकसान पहुंचा सकता है। आइए जानते हैं कैसे प्रदूषण दिल को नुकसान पहुंचाता है और इससे बचने के उपाय क्या हो सकते हैं।

1. प्रदूषण और रक्तवाहिकाओं पर असर
प्रदूषण में मौजूद जहरीली गैसें, जैसे कि कार्बन मोनोऑक्साइड (CO) और नाइट्रोजन ऑक्साइड (NOx), रक्तवाहिकाओं पर असर डाल सकती हैं। इन गैसों का शरीर में प्रवेश रक्त वाहिकाओं को संकुचित कर देता है, जिससे रक्त संचार में रुकावट होती है। इसके परिणामस्वरूप, दिल को उचित मात्रा में ऑक्सीजन और पोषक तत्व नहीं मिल पाते, जिससे दिल पर दबाव बढ़ता है। लंबे समय तक प्रदूषण के संपर्क में रहने से हाई ब्लड प्रेशर (Hypertension) और हार्ट अटैक जैसी समस्याओं का खतरा बढ़ सकता है।

2. सूजन और दिल की बीमारियां
प्रदूषण में मौजूद सूजन पैदा करने वाली कण (inflammatory particles) रक्त में घुलकर शरीर की विभिन्न जगहों पर सूजन पैदा कर सकती हैं, खासकर हृदय और रक्तवाहिकाओं में। यह सूजन दिल की धड़कन को प्रभावित करती है और समय के साथ एथेरोस्क्लेरोसिस (धमनियों में वसा का जमाव) को बढ़ावा देती है। इससे हृदय रोगों का खतरा बढ़ता है, जैसे कि अर्टेरियल ब्लॉकेज और हार्ट अटैक।

3. स्ट्रोक का खतरा
प्रदूषण से होने वाली सूजन और रक्त वाहिकाओं के संकुचन से स्ट्रोक का खतरा भी बढ़ जाता है। जब रक्त संचार बाधित होता है, तो मस्तिष्क में खून का प्रवाह कम हो सकता है, जिससे हिस्ट्री ऑफ स्ट्रोक वाले व्यक्तियों के लिए स्थिति और भी गंभीर हो सकती है। लंबे समय तक प्रदूषण के संपर्क में रहने से दिल और मस्तिष्क दोनों पर बुरा असर पड़ सकता है।

4. आर्टरी में कैल्शियम का जमा होना
प्रदूषण से दिल की धमनियों में कैल्शियम का जमाव बढ़ सकता है, जिससे कोरोनरी आर्टरी डिजीज (CAD) जैसी गंभीर समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं। यह स्थिति दिल के दौरे का कारण बन सकती है, क्योंकि कैल्शियम का जमा होने से रक्त का प्रवाह बाधित होता है।

5. मानसिक तनाव और दिल की सेहत
प्रदूषण मानसिक स्वास्थ्य पर भी असर डालता है, जिससे चिंता और तनाव जैसी समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं। जब हम मानसिक तनाव में होते हैं, तो शरीर में कोर्टिसोल (तनाव हार्मोन) का स्तर बढ़ जाता है, जिससे हृदय की धड़कन तेज हो सकती है और रक्त दबाव बढ़ सकता है। यह दिल के स्वास्थ्य के लिए खतरनाक हो सकता है, खासकर उन लोगों के लिए जो पहले से हृदय रोगों का सामना कर रहे होते हैं।

6. दिल की बीमारियों में वृद्धि
अध्ययनों से यह साबित हुआ है कि प्रदूषण का लगातार संपर्क दिल की बीमारियों के जोखिम को बढ़ाता है। क्लिनिकल स्टडीज के अनुसार, प्रदूषण के कारण मैलिग्नेंट कार्डियोवैस्कुलर डिजीज़ (heart diseases) का खतरा दोगुना हो सकता है। इससे न केवल हृदय के दौरे का जोखिम बढ़ता है, बल्कि अस्थिर हृदय गति (arrhythmia) जैसी समस्याएं भी उत्पन्न हो सकती हैं।

कैसे करें प्रदूषण से बचाव?
घर के अंदर रहें: अगर बाहर प्रदूषण का स्तर ज्यादा हो, तो कोशिश करें कि आप घर के अंदर रहें और हवा को साफ रखने के लिए एयर प्यूरीफायर का उपयोग करें।
आउटडोर एक्टिविटी कम करें: जब प्रदूषण का स्तर बढ़ा हो, तो अपनी बाहरी गतिविधियों को कम करें और खासकर बच्चों और बुजुर्गों को बाहर जाने से बचाएं।
स्वस्थ आहार लें: एक हेल्दी डाइट, जिसमें एंटीऑक्सीडेंट्स और ओमेगा-3 फैटी एसिड शामिल हो, दिल को प्रदूषण से होने वाले नुकसान से बचा सकती है।
सांस लेने की तकनीक: गहरी सांस लेने के अभ्यास से मानसिक तनाव कम होता है और यह शरीर को प्रदूषण से उत्पन्न होने वाली सूजन से बचाने में मदद कर सकता है।
कसरत और व्यायाम: नियमित व्यायाम से हृदय मजबूत होता है और यह प्रदूषण के नकारात्मक असर को कम कर सकता है।

प्रदूषण सिर्फ हमारे फेफड़ों के लिए ही खतरनाक नहीं है, बल्कि यह हमारे दिल पर भी गहरा असर डाल सकता है। रक्तवाहिकाओं का संकुचन, सूजन, और मानसिक तनाव जैसे कारण दिल की बीमारियों का कारण बन सकते हैं। प्रदूषण से बचने के लिए जागरूकता और सुरक्षा उपायों का पालन करना जरूरी है, ताकि हम अपनी दिल की सेहत को बेहतर रख सकें और इसके दुष्प्रभावों से बच सकें।