आज के दौर में ऑनलाइन व्यस्तता ज्यादा हो गई है। इसका सीधा असर नींद पर पड़ता है। नींद के लिए कई लोग मेलाटोनिन सप्लिमेंट का सहारा लेते हैं। दवा की दुकानों में मेलाटोनिन आसानी से उपलब्ध है। इसके कई रूप हैं- गमीज, टैबलेट या तरल। इसकी मांग बढ़ती जा रही है।
जानकारों का कहना है कि नींद के लिए मेलाटोनिन के भरोसे रहना सही नहीं है। वे सप्लिमेंट के इस्तेमाल के विरुद्ध हैं, क्योंकि इसके बुरे असर हो सकते हैं। मसलन, गला सूखना, सिर में दर्द और थकान। कुछ डॉक्टरों का कहना है कि नींद के लिए दवाएं लेने से पहले लोगों को मनोचिकित्सा का सहारा लेना चाहिए।
डॉक्टरों का मानना है कि दवाएं उन लोगों के लिए जरूरी हो सकती हैं, जो अनियमित शिफ्ट में या अलग-अलग टाइम जोन में काम करते हैं या नींद कम लेते हैं, जैसे परीक्षा की तैयारी के समय। डॉक्टरों की सलाह है कि अनिद्रा दूर करने के लिए ज्यादा कैफीन वाले पेय नहीं पीने चाहिए। उनका ये भी कहना है कि लोगों को सोने से पहले इलेक्ट्रॉनिक गैजेट के स्क्रीन और वीडियो गेम्स से दूर रहना चाहिए और कम से कम आधा घंटा टहलना चाहिए। डॉक्टर करते हैं कि बेशक फौरी तौर पर मेलाटोनिन सप्लिमेंट का सहारा नींद ले आए, लेकिन ये स्थाई इलाज नहीं है।