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जलवायु परिवर्तन क्या है? दुनिया भर के देश कॉप29 में क्यों हो रहे इकट्ठा

New Delhi: मानवीय वजहों से धरती का तापमान लगातार बढ़ रहा है। भविष्य के लिहाज से ये अच्छी खबर नहीं है। अगर तत्काल कदम नहीं उठाए गए तो हालात और भी बिगड़ सकते हैं। संयुक्त राष्ट्र जलवायु शिखर सम्मेलन यानी कॉप29 में दुनिया भर के तकरीबन 200 देश अज़रबैजान के बाकू में मंथन कर रहे हैं। इस सालाना सम्मेलन में दुनिया के देश जलवायु सुधारने के लिए अपनी रणनीतियों पर चर्चा करते हैं। इस सम्मेलन में  विकासशील और विकसित देश एक साथ आते हैं और जलवायु परिवर्तन से पैदा होने वाली चुनौतियों पर विचार करते हैं। कॉप 29 का लक्ष्य ग्लोबल वार्मिंग को 2 डिग्री सेल्सियस से नीचे लाना है।

जलवायु परिवर्तन पृथ्वी के औसत तापमान और मौसम की स्थिति में बदलाव से होता है। ये मानवीय गतिविधियों के कारण होता है। कोयले और तेल जैसे जीवाश्म ईंधन को जलाने से वातावरण में ग्रीनहाउस गैस यानी कार्बन डाइ ऑक्साइड जैसी गैस निकलती हैं। इससे जलवायु परिवर्तन और ग्लोबल वार्मिंग होती है।

इस गर्मी के कारण मौसम बहुत ज्यादा चरम पर पहुंच जाता है। इसमें भारी बारिश, गंभीर सूखा और ज्यादा सर्दी के साथ समुद्र का स्तर बढ़ना शामिल है। विश्व मौसम विज्ञान संगठन के मुताबिक 2014 से 2023 के बीच दुनिया औसतन 1.2 डिग्री सेल्सियस गर्म थी। 

माना जा रहा है कि 2024 दुनिया का सबसे गर्म साल रहेगा। जलवायु परिवर्तन की वजह से लाखों लोगों की जिंदगी पर बुरा असर पड़ सकता है। इससे मौसम में बहुत ज्यादा बदलाव , ग्लेशियरों का तेजी से पिघलना, समुद्रों का गर्म होना और सूखा पड़ सकता है।

भारत जलवायु परिवर्तन की वजह से गंभीर असर का सामना कर रहा है और यहां ज्यादा सर्दी, ज्यादा गर्मी या ज्यादा बारिश जैसी घटनाएं लगातार हो रही हैं। शक्तिशाली चक्रवातों से तटीय इलाके तेजी से प्रभावित हो रहे हैं। इसके अलावा, मानसून के बदलते पैटर्न की वजह से गंभीर सूखा पड़ा है। इसका उन किसानों पर असर पड़ा है जो अपनी आजीविका के लिए लगातार बारिश पर निर्भर रहते हैं।

बढ़ती गर्मी और भारी बारिश से कृषि और आजीविका को खतरा और बढ़ जाता है। ये बेहतर आपदा तैयारियों और मौसम संबंधी बुनियादी ढांचे की तुरंत जरूरत को उजागर करता है। भारत जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए रिन्यूएबल एनर्जी, जैसे सोलर और विंड पॉवर पर अपनी निर्भरता बढ़ा रहा है। लेकिन फिलहाल वो कोयले पर ही निर्भर है। कॉप 29 में भारत का लक्ष्य सार्थक जलवायु कार्रवाई के लिए सभी देशों से सख्त कदम उठाने और वित्तीय सहायता के लिए जवाबदेही पर जोर देना है। 

सम्मेलन के नतीजे पर्यावरणीय जिम्मेदारी के साथ आर्थिक विकास को संतुलित करते हुए भारत की जलवायु नीतियों को महत्वपूर्ण रूप से आकार दे सकते हैं। इसके अलावा भारत में खेती के तरीकों में भी बदलाव हो रहा है। इससे बुनियादी ढांचे में सुधार भी हो रहा है और उतार-चढ़ाव भरे मौसम के लिए भी देश की तैयारी को मदद मिल रही है।