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मेरठ के एक ही गांव के 14 लोगों का हुआ पुलिस भर्ती में सिलेक्शन, परिजनों में खुशी की लहर

मेरठ के सरूरपुर थाना क्षेत्र के सरूरपुर गांव के 14 अभ्यर्थी उत्तर प्रदेश पुलिस में चयनित हुए हैं। पूरे उत्तर प्रदेश में किसी एक गांव में इतनी बड़ी संख्या में अभ्यर्थियों का उत्तर प्रदेश पुलिस भर्ती में एक साथ चयन हुआ है। गांव में 14 अभ्यर्थियों का एक साथ चयन होने पर ग्रामीण और परिजनों में खुशी का माहौल है। 14 अभ्यर्थियों में तीन लड़कियां हैं और 11 लड़के हैं जिनका सिपाही के पद पर चयन हुआ है। इसे लेकर गांव में खुशी की लहर है। सरूरपुर गांव की आबादी लगभग 8000 के आसपास है। अभ्यर्थियों ने परिजनों के साथ-साथ गांव और जनपद का नाम भी रोशन किया है।

इन सभी के नाम प्रीति सूर्यवंशी, टीना, आँचल, अनुज कुमार, सनी, अजय कुमार, रोबिन, विशांत, सागर, अरविंद, निशांत पूनिया, रितिक, नईम और प्रदीप है।

हम गांव में पहुंचे और हमने वहां चयनित अभ्यार्थियों और उनके परिजनों से बात की साथ ही गांव में जो खुशी का माहौल है उस को देखा। ग्राउंड रिपोर्ट पर हमने पाया कि जिन लोगों का पुलिस सिपाही के पद पर चयन हुआ है उनमें कुछ ऐसे परिवार हैं जिन्होंने अपने बच्चों को पढ़ने के लिए बहुत संघर्ष किया और संघर्ष के साथ अपना सपना पूरा किया। हमने देखा कि पुलिस भर्ती में चयन हुई युवतियों में किसी के माता पिता अनपढ़ है और किसी के पिता मजदूर है। जिन्होंने मेहनत करके अपने बच्चों को पढ़ाया। वहीं सिपाही के पद पर गांव के दो सगे भाइयों का भी चयन हुआ है, जिनके पिता पॉपकॉर्न का ठेला लगाते हैं और मां कपड़े सिलती है और घरों का काम करती है। माता-पिता ने अपना सपना सच करने के लिए कड़ा संघर्ष किया। पूरा परिवार गांव के कच्चे मकान में रहता है।

सिपाही के पद पर भर्ती होने वाली टीना पूनिया के दो भाई और है ,बड़ा भाई फौज में है जबकि छोटा भाई अब पुलिस भर्ती की तैयारी में लगा है। टीना के माता-पिता ने कोई पढ़ाई नहीं की है सिर्फ खेती करते हैं और उनका सपना था कि उनके बच्चे पढ़ लिख जाए और अच्छी नौकरी पा ले। उनका सपना उनकी बेटी ने पूरा कर दिया। टीना ने छठी बार प्रयास किया और वह अब सफल रही और उनके माता-पिता ने भी पूरा साथ दिया। टीना की मां रेखा कहती है कि बहुत संघर्ष किया है अपनी बेटी को यहां तक पहुंचाने के लिए। टीना के माता-पिता का कहना है कि वह बहुत खुश हैं और सरकार का धन्यवाद देते हैं। टीना के पिता सुरेश पाल कहते हैं कि जैसे मेरे लड़के हैं वैसी मेरी बेटी है मैं इनमें कोई फर्क नहीं करता, खेतों में मेहनत करके बेटी को पढ़ाया है।

पुलिस सिपाही के पद पर भर्ती होने वाली आंचल के पिता मजदूर हैं, आंचल के चार बहन और एक भाई है वह अपने पांच बहन भाई में सबसे बड़ी है और उनके पिता ने उनको मजदूरी करके पढ़ाया है आंचल के पिता चंद्रपाल कश्यप कहते हैं की मजदूरी करके उन्होंने अपनी बेटियों को पढ़ाया है, मेरा सपना था कि मेरी बच्ची कामयाब हो जाए और योगी जी का धन्यवाद, मजदूरी करते-करते मेरी सफलता मिल गई, मैं अपनी बेटियों को ही बेटा मानता हूं।

वहीं गांव में दो सगे भाइयों का भी चयन पुलिस में सिपाही के पद पर हुआ है अजय कुमार और सनी, अजय और सनी के पिता बबलू पॉपकॉर्न का ठेला लगते हैं और माता पूनम कपड़े सिलती हैं और साथ ही घरों का काम भी करती हैं। दोनों के माता-पिता विकलांग हैं और कड़े संघर्ष से अपने बच्चों की पढ़ाई कराई है। उनके माता-पिता बताते हैं कि गांव में अक्सर लोग कहा करते थे के जवान बच्चे हो गए हैं और काम नहीं करते लेकिन उनका सपना था कि उनके बच्चे अच्छी नौकरी पर जाएं और अब सपना पूरा हो गया। अजय का यह पांचवा प्रयास है जिसमें उन्होंने सफलता पाई है लेकिन सनी का उससे ज्यादा बार प्रयास था और इस बार वह सफल रहे। पूरे परिवार ने बहुत संघर्ष किया और अब जाकर सफलता मिली। घर के हालात खराब थे और दोनों भाई एक ही किताब से तैयारी किया करते थे। अजय और सनी का तीसरा भाई भी है और वह भी अभी पढ़ाई कर रहा है। अपने दोनों बेटों के पुलिस में भर्ती होने के बाद परिवार में खुशियों का माहौल है।

बहरहाल गांव के 14 अभ्यर्थियों का पुलिस भर्ती में चयनित हुए हैं और जल्द ही सब यह सभी सिपाही बन जाएंगे और इस बात को लेकर गांव के लोगों में बहुत ज्यादा खुशी का माहौल है। गांव के लोग भी सरकार का धन्यवाद देते हैं और इस कामयाबी पर फूल नहीं समा रहे हैं।