भारतीय लेग स्पिनर अमित मिश्रा ने गुरुवार को अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट से संन्यास का ऐलान किया। 25 साल लंबे करियर के दौरान उन्होंने कई उतार-चढ़ाव देखे, लेकिन अपने डेब्यू को उन्होंने सबसे यादगार पल बताया।
मिश्रा ने बताया, "मेरा डेब्यू मैच ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ मोहाली में हुआ था। अनिल कुंबले भाई चोटिल थे और सभी पूछ रहे थे कि उनकी जगह कौन लेगा। मैंने उस मैच में 5 विकेट लेकर मैन ऑफ द मैच बना और खुद को साबित किया। ये मेरे लिए सबसे बड़ा पल था।"
मिश्रा ने कहा कि 2008 आईपीएल में दिल्ली के लिए खेलते हुए हैट्रिक और पांच विकेट लेना उनके करियर का टर्निंग पॉइंट रहा। "उस प्रदर्शन से मुझे फिर से भारतीय टीम में मौका मिला और मेरा टी20 करियर शुरू हुआ।" मिश्रा ने माना कि बार-बार टीम से अंदर-बाहर होना मानसिक रूप से मुश्किल था।
उन्होंने कहा, "कभी टीम में रहना, कभी बाहर... यह निराशाजनक था। लेकिन मैंने मेहनत नहीं छोड़ी। जब भी मौका मिला, प्रदर्शन किया।" मिश्रा ने बताया कि उन्हें भारतीय बल्लेबाजों को आउट करना सबसे मुश्किल लगता था क्योंकि वे स्पिन को अच्छे से खेलते हैं। "सेहवाग, युवराज, कोहली जैसे खिलाड़ियों की विकेट लेना बहुत खास होता है।"
मिश्रा ने कहा, "हर टीम में कुछ खिलाड़ी कप्तान के फेवरिट होते हैं, लेकिन अंत में प्रदर्शन ही मायने रखता है। मौका मिले तो खुद को साबित करो।" मिश्रा ने युवाओं को सलाह दी, "2-3 विकेट लेकर खुश मत हो जाओ। मेहनत करो, नेट्स में पसीना बहाओ और नई वैरिएशन सीखो। शॉर्टकट लोगे तो करियर छोटा होगा। मेहनत करोगे तो लंबा करियर मिलेगा।"
संन्यास के बाद मिश्रा ने कहा कि वे अब कमेंट्री और कोचिंग में योगदान देना चाहते हैं। उन्होंने कहा, "मैं चाहता हूं कि मैं युवा स्पिनर्स की मदद करूं। अगर कोई मुझसे कुछ सीखना चाहता है तो मैं हमेशा उपलब्ध हूं।"