उत्तरकाशी में चार दिन पहले ढह गई निर्माणाधीन सुरंग में फंसे 40 श्रमिकों को निकालने के लिए बचाव अभियान गुरुवार सुबह शुरू हो गया है। अधिकारियों ने गुरुवार ये जानकारी दी। अधिकारियों ने बताया कि मजदूर अंदर पूरी तरह से सुरक्षित हैं।
नवयुग कंपनी के पीआरओ जी. एल. नाथ ने कहा कि कर्मचारी सुरक्षित हैं और उन्हें भोजन और पानी के साथ-साथ दूसरी जरूरी चीजें दी जा रही हैं। 'खराब' उपकरण को बदलने के लिए बुधवार को वायुसेना के तीन परिवहन विमानों से भारी ड्रिलिंग मशीन को दिल्ली से यहां लाया गया। मशीन का इस्तेमाल सुरंग में फंसे 40 श्रमिकों को बचाने के लिए रास्ता बनाने के लिए किया जा रहा है।
योजना ये है कि सुरंग के ढहे हुए हिस्से के मलबे में ड्रिल करने के लिए 'अमेरिकन ऑगर' मशीन का उपयोग किया जाए और हल्के स्टील पाइप के 800-मिमी और 900-मिमी व्यास के पाइपों को डाला जाए। एक बार ऐसा होने पर मलबे के दूसरी तरफ फंसे मजदूरों को सुरक्षित रूप से बाहर निकला जा सकता है।
अधिकारियों ने कहा कि पहली ड्रिलिंग मशीन बहुत धीमी निकली और तकनीकी समस्याएं पैदा हो गईं। साथ ही मंगलवार को सुरंग के अंदर मलबा गिरने से दो बचावकर्मी घायल हो गए। रिप्लेसमेंट मशीन को बुधवार दोपहर तीन सी-130 जे हरक्यूलिस विमानों से लाया गया। श्रमिकों को बाहर निकालने की कोशिशों में हो रही देरी के विरोध में बुधवार को उनके परिजनों ने निर्माणाधीन सुरंग के बाहर विरोध प्रदर्शन किया।
इस बीच बुधवार को आधिकारिक बयान में कहा गया कि मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी इंदौर में होने के बावजूद सिल्कयारा में बचाव अभियान की लगातार निगरानी कर रहे हैं। फंसे हुए मजदूर बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, ओडिशा, उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश के हैं। उन्हें निकालने के लिए लगातार कोशिश की जा रही है।