उत्तराखंड में नैनीताल के कानिया गांव के वूमन रिसोर्सेज सेंटर में इन दिनों कुछ महिलाएं हर्बल गुलाल बना रही हैं। ये कार्यक्रम हिमालयन एनवायरोनमेंट स्टडीज एंड कंजरवेशन ऑर्गेनाइजेशन या हेस्को के बैनर तले चल रहा है।
केंद्र में काम करने वाली महिलाएं हेस्को की आभारी हैं। संगठन की बदौलत उन्हें आत्मनिर्भर बनने का मौका मिलता है।
हेस्को में रंग बनाने के लिए रसायनों का इस्तेमाल नहीं होता। हर्बल गुलाल त्वचा को कोई नुकसान नहीं पहुंचाते। इस वजह से खरीदारों में इसकी काफी मांग है।
अब तक हेस्को 150 किलो से ज्यादा हर्बल गुलाल बेच चुका है। होली हफ्ते भर बाद है। त्योहार नजदीक आने के साथ हर्बल गुलाल की मांग भी बढ़ती जा रही है।