अवैध खनन पर लगाम कसने का काम वन विभाग, खान विभाग, वन निगम और पुलिस पर होता है। लेकिन अब अवैध खनन पर रोक लगाने के लिए ‘कंपनी’ की एंट्री होगी। नैनीताल, ऊधम सिंह नगर, हरिद्वार और देहरादून जिले में चयनित कंपनी के पास एक तरह से इन सरकारी विभागों की तरह पावर होगी। बीच सड़क गाड़ी रोक रायल्टी और रवन्ना चेक किया जाएगा।
अवैध खनन का मामला पकड़ने पर जुर्माना भी ठोका जाएगा। ऐसे में सवाल खड़ा होता है कि क्या खनन के खेल को रोकने में सरकारी सिस्टम फेल हो चुका है? इसीलिए निजी कंपनी को लाया जा रहा है।
खनन विभाग के उच्चधिकारियों के अनुसार खनिज की उपलब्धता के हिसाब से 350 करोड़ का राजस्व मिलना चाहिए। लेकिन रायल्टी चोरी व अवैध खनन के कारण लक्ष्य हासिल नहीं हो पाता। इसलिए निजी कंपनी को खनन कारोबार में शामिल करने का निर्णय लिया गया है।
12 दिसंबर को टेंडर खोला जाएगा। जिसके बाद चयनित कंपनी ही रायल्टी के तौर पर अलग-अलग किस्तों में 350 करोड़ रुपये जमा करेगी। यह न्यूनतम आधार मूल्य है। इससे ज्यादा रकम भी मिल सकती है। इसके बाद कंपनी वन निगम के माध्यम से संचालित नदियों के अलावा निजी पट्टों की रायल्टी ठेकेदार से वसूल खुद जमा करेगी। सबसे अहम काम अवैध खनन में लिप्त गाड़ियों को पकड़ने के अलावा जुर्माना वसूली का होगा।