उत्तरकाशी में चल रहे रेस्क्यू ऑपरेशन पर बीआओ यानी सीमा सड़क संगठन के पूर्व डीजी हरपाल सिंह ने सोमवार को कहा कि सिल्क्यारा-बारकोट सुरंग के ऊपर से 31 मीटर तक वर्टीकल ड्रिलिंग की गई है।
पिछले 15 दिनों से फंसे 41 श्रमिकों के को निकालने का मार्ग तैयार करने के लिए कुल 86 मीटर ड्रिलिंग की जानी है। दूसरे विकल्प के रूप में अपनाई गई इस विधि के तहत सुरंग के ऊपर से 1.2 मीटर व्यास के पाइपों को लंबवत रूप से बिछाया जाना है।
उन्होंने कहा कि मुख्य सुरंग के अंदर मैन्युअल तरीके से क्षैतिज ड्रिलिंग शुरू करने की भी तैयारी चल रही है। बरमा (ऑगर) मशीन खराब होने के बाद बचावकर्मियों को मलबे में 10 से 12 मीटर तक मैन्युअल रूप से खुदाई करनी पड़ेगी।
उन्होंने कहा कि 800 मिलीमीटर व्यास वाले पाइपों के फ्रेम तैयार कर लिए गए हैं। हम धीरे-धीरे आधा मीटर से एक मीटर तक आगे बढ़ेंगे। अगर सब कुछ ठीक रहा और कोई बाधा नहीं आई तो 10 मीटर की दूरी 24-36 घंटों में तय की जा सकती है।"
रविवार रात 8.15 मीटर क्षेत्र से बरमा के कुछ हिस्सों को हटाया जाना बाकी था। मलबे से मशीन के शाफ्ट और पंखों को पूरी तरह से निकालना मैन्युअल ड्रिलिंग और पाइपों को धकेलने का रास्ता साफ करने के लिए आवश्यक था, लगभग 12 मीटर की दूरी के साथ अंतिम चरण में है। मशीन के सभी हिस्से अब हटा दिए गए हैं।