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'गंगा नदी में डाला जा रहा है मासांहार और मलमूत्र', हाईकोर्ट पहुंचा मामला


हाई कोर्ट ने टिहरी जिले में पवित्र गंगा में फ्लोटिंग हट्स व फ्लोटिंग रेस्टोरेंटों से मांसाहारी भोजन व मल मूत्र डाले जाने के खिलाफ दायर जनहित याचिका पर सुनवाई की। कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति मनोज कुमार तिवारी व न्यायमूर्ति विवेक भारती शर्मा की खंडपीठ ने की।

खंडपीठ ने याचिकाकर्ता को मामले राज्य प्रदूषण बोर्ड व गंदगी फैला रहे रेस्टोरेंट को पक्षकार बनाने को कहा है। मामले की अगली सुनवाई 28 दिसंबर की तिथि नियत की है।

स्वर्गाश्रम जिला पौड़ी गढ़वाल निवासी ने जनहित याचिका दायर कर कहा है कि राज्य सरकार ने पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए टिहरी में गंगा पर फ्लोटिंग हट व फ्लोटिंग रेस्टोरेंट चलाने की अनुमति दी है, लेकिन इस अनुमति का गलत उपयोग किया जा रहा है। कई रेस्टोरेंटों का मांसाहारी भोजन बनाकर उसका वेस्ट पवित्र गंगा में डाला जा रहा है। यही नहीं फ्लोटिंग हट्स का मलमूत्र भी डाला जा रहा है।

याचिका में यह भी कहा है कि राज्य सरकार ने पर्यटन को बढ़ावा देने के जो लाइसेंस दिया गया है, उससे लाखों सनातनियों की भावना के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है। सनातनी गंगा में नहाने से पहले उसकी पूजा करते है और चप्पल व जूते उतारकर स्नान करते है , फ्लोटिंग हट्स व रेस्टोरेंटों से गंगा को अपवित्र किया जा रहा है। याचिकाकर्ता ने इसपर रोक लगाए जाने को लेकर जिलाधिकारी, केंद्र सरकार व मुख्य सचिव को पत्र भेजा परन्तु इस पर कोई कार्यवाही नहीं हुई।