सिल्क्यारा सुरंग में राहत व बचाव कार्यों में जुटे विशेषज्ञों की टेलीस्कोपिक विधि से सुरंग में श्रमिकों की निकासी के लिए पाइप डालने के दौरान 22 से 45 मीटर के बीच बाधा आने की आशंका सही साबित हुई। इस दूरी में दो बार ड्रिलिंग रोकी गई। दोनों बार मशीन के सामने लोहे की मोटी राड आई थी।
नतीजतन, गुरुवार शाम तक श्रमिकों तक नहीं पहुंचा जा सका। हालांकि, पहले उम्मीद यही थी कि श्रमिकों को बुधवार-गुरुवार मध्य रात्रि में निकाल लिया जाएगा। अब लोहे की इन राड को काटने के बाद ही पाइप के आगे जाने का रास्ता बनाया जा रहा है। पाइप के दूसरे छोर पर पहुंचने के बाद इसकी सही प्रकार से धुलाई कर साफ किया जाएगा, ताकि श्रमिकों को बाहर निकालने वाले स्ट्रेचर को आसानी से पाइप में गुजारा जा सके।
एजेंसियां यह मान रही थी कि शुरुआती 22 मीटर तक पाइप को डालने में कोई दिक्कत नहीं होगी, लेकिन सबसे अधिक बाधा 22 से 45 मीटर के बीच पाइप डालने में सकती है। यह आशंका बिल्कुल सही साबित हुई, जब बुधवार को ड्रिलिंग के दौरान 42 मीटर पर पाइप अटक गया। जांच की गई तो पाया गया कि पाइप की राह में लोहे की मोटी राड रोड़ा अटका रही है। इस पर बुधवार रात ड्रिलिंग का काम रोकना पड़ा।