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पीलीभीत के एक गांव में शादी करने से लगता है डर, वजह कर देगी हैरान

उत्तर प्रदेश के पीलीभीत जिले में एक गांव शारदा नदी के बाढ़ से इतना प्रभावित है कि उसे गांव के युवाओं कि अब शादियां होने में दिक्कत आ रही है लोग अपनी लड़कियों का इस गांव में लड़कों से विवाह करने से पहले पूछते हैं कि तुम्हारे यहां तो हर साल बाढ़ आती है। हम अपनी लड़की कैसे आप को दे दे। वही बाढ़ से निजात पाने के लिए गांव के लोगों ने कुछ दिन पहले 102 दिन तक धरने पर बैठे उसके बावजूद भी उनकी बाढ़ जैसी जटिल समस्या अभी तक दूर नहीं हो पाई है न दूर होती नजर आ रही है। जिसको लेकर गांव वाले आने वाले लोकसभा चुनाव में चुनाव का बहिष्कार करने की बात कह रहे हैं।

पीलीभीत जिले के मुख्यालय से 70 किलोमीटर दूर जंगल के पार शारदा नदी के किनारे चंदिया हजारा गांव बसा है इस गांव में बंगाली समाज के लोग रहते हैं इन बंगाली समाज को 1969 और 1970 के समय तत्कालीन सरकार ने बसाया था यह लोग उस समय के पाकिस्तान जो इस समय बांग्लादेश बन गया है वहां से आए थे। बसने के बाद से लगातार यह लोग शारदा नदी की मार झेल रहे हैं, चंदिया हजारा में जब सुबह सूरज उगता है तो युवाओं की धड़कनें तेज हो जाती है कि काश कोई आए और अपनी लड़की का रिश्ता तय कर जाए। दरअसल चंदिया हजारा के रहने वाले ग्रामीणों का कहना है। चंदिया हजारा के साथ-साथ दर्जनों बंगाली समाज के गांव वालों ने यहां 102 दिन से धरना प्रदर्शन किया धरना प्रदर्शन में तमाम अधिकारी आए मौजूदा बीजेपी विधायक बाबूराम पासवान आए और मौजूदा सांसद वरुण गांधी भी धरने में आए थे और हमें आश्वासन दिया जल्दी आप लोगों को बाढ़ से निजात दिलाने के लिये जल्द चैनेलाइजेशन (नदी को रास्ता मोड़ने के लिये) का काम शुरू हो जाएगा। 

अब आचार संहिता लगने वाली है और अभी तक काम शुरू नहीं हुआ है इसलिए हम लोग परेशान हैं इस बाढ़ से हमारी दैनिक दिनचर्या ही बदल गई है हमारे घरों के लड़कों से कोई शादी करने को तैयार नहीं है लड़की वाले कहते हैं कि आपका क्षेत्र तो बाढ़ प्रभावित है। बरसात के दिनों में घरों में पानी भरा रहता है ,ऐसे में हम अपनी लड़की आपके गांव में कैसे विवाह कर दें। जो परिवार अपनी लड़की देगा वह गांव भी देखता है  है घर बार भी देखता है ऐसे में हमारे गांव के युवाओं के लिए एक बड़ी समस्या पैदा होने लगी है ,हर साल हम लोगों की सैकड़ो एकड़ जमीन इस बाढ़ में बह जाती है कुछ गांव तो ऐसे हैं जिनके मकान ही इस बाढ़ में बह गए हैं। गांव के पुरुष हर रोज इसी कसमकस में रहते हैं कि कैसे इस समस्या से निजात पाया जाए और किसके पास जाएं। उधर महिलाएं घर में रोजगार करती हैं और अपने घर का पालन पोषण करती हैं।

रिपोर्ट: संजय शुक्ला