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मुरादाबाद: रामलला के हाथ मे बंधेंगी दृष्टि बाधित बच्चों के हाथों से बनी राखीं

Raksha Bandhan: राखी के त्योहार को मात्र कुछ घंटे बचे है. ऐसे में राखी पर कुछ स्पेशल ना हो ये तो हो ही नही सकता. भारत मे हुनर की कमी नही है बस उसे पहचानने की जरूरत है. यहाँ आंखों से 100 प्रतिशत दिव्यांग बच्चो का ग्रुप रंग-बिरंगे मोतियों को और विभिन्न तरीके के आइटम्स को मिलाकर राखियां बना रहा है. उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद से आई खबर दूसरे लोगों के लिए प्रेरित करने वाली है. दृष्टिबाधित होने के बावजूद भी वह जिंदगी में रोशनी पा सकते हैं. हालांकि इन लोगों को हर कोई राखी बनाता देख यह सोच में पड़ जाता है, कि आखिरकार ये बच्चे राखी बनाने का काम कैसे कर सकते हैं. क्योंकि अलग-अलग रंगों और मोतियों के अलावा अन्य कई सामग्रियों को कॉन्बिनेशन में लगाकर ये राखियां तैयार की जाती हैं. 

उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद में दृस्टिबाधित बच्चों ने एक बार फिर अपने हुनर का डंका बजवाया है. दृस्टिबाधित बच्चो ने अपने हाथों से रामलला के लिए राखियां बनाकर अयोध्या भेजी हैं. दिव्यांग विक्रम बताते हैं कि वे और उन जैसे अन्य बच्चे भी किस तरह से राखी तैयार करते हैं. साथ ही दिव्यांग विक्रम ने बताया कि सबसे पहले उन्होंने रामलला के लिए राखी बनाकर अयोध्या भेजी है. और इस बात की उनके ग्रुप को बहुत ही ज्यादा खुशी है कि उनके हाथों से बनाई राखी रामलला को भेजी जा रही है.

इन सभी दृष्टि बाधित लोगों को ये रोशनी चेरिटेबल अस्पताल का प्रोजेक्ट स्नेह दे रहा है. जिसके जरिये ये ट्रेनिग लेकर सक्षम बन रहे हैं. वहीं उन्हें इस मुकाम तक ले जाने वाली चेरिटेबल हॉस्पिटल के प्रोजेक्ट स्नेह की डायरेक्टर शिखा गुप्ता हैं. शिखा गुप्ता बताती हैं कि जब पहली बार उनके अस्पताल में ये बच्चे ईलाज के लिए आये थे तब उनका कोई ईलाज हो ही नही सकता था. तभी से उनके लिए कुछ करने का मन था, जिसके बाद एक कोशिश की और दृस्टिबाधित सभी बच्चों को सक्षम बनाने का प्रयास किया और आज ये बच्चे अपने हुनर के बलबूते अपनी पहचान बना रहे हैं. 

गौरतलब है कि राखी के त्योहार को अब कुछ ही घंटे रह गए हैं. ऐसे में राखी बनाने वाले सभी दिव्यांग बच्चे काफी उत्साहित हैं और राखी तैयार कर रहे हैं. बच्चों का ये हुनर सिर्फ हिंदुस्तान ही नहीं बल्कि देश विदेश में अपनी पहचान बना रहा है.