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अफजाल अंसारी की संसद सदस्यता होगी बहाल, 2024 के सियासी रण में उतरने के कयास

एमपी-एमएलए कोर्ट से बसपा सांसद अफजाल अंसारी को सजा होने के बाद अगली लोकसभा के गठन में लगभग एक साल का समय होने के बावजूद उपचुनाव न कराने की चूक से उन्हें पैरवी का मजबूत आधार मिला। शीर्ष कोर्ट की पीठ ने अपने फैसले में स्पष्ट कहा कि संसदीय क्षेत्र की जनता का अधिकार है कि उसका जनप्रतिनिधि हो या फिर उपचुनाव हो, लेकिन यहां तो दोनों नहीं है। कोर्ट ने यह भी आदेश दिया है कि अब उपचुनाव न कराया जाए।

गत 29 अप्रैल को एमपी-एमएलए कोर्ट ने गैंगस्टर एक्ट के तहत सांसद अफजाल अंसारी को चार साल की सजा सुनाई थी। इस फैसले के बाद आगामी लोकसभा के गठन में करीब एक साल का समय था। इसके बावजूद यहां उपचुनाव नहीं कराया गया। अफजाल अंसारी को इस दौरान फैसले के खिलाफ अपील का मौका मिला।

अफजल अंसारी ने पहले हाईकोर्ट और फिर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर स्थानीय एमपी-एमएलए कोर्ट के फैसले को चुनौती दी। सुप्रीम कोर्ट में संसदीय क्षेत्र खाली होने का लाभ अफजाल अंसारी को मिला। तीन न्यायमूर्ति की पीठ ने अपने फैसले में संसदीय क्षेत्र में जनप्रतिनिधि न होने से सीट खाली रहने और उपचुनाव न होने का जिक्र करते हुए कहा है कि दोनों में किसी एक का होना जनता का अधिकार है।

एमपी-एमएलए कोर्ट से अफजाल को चार साल की सजा सुनाए जाने के मामले में उन्हें सुप्रीम कोर्ट से मिली राहत जनपद की सियासत के लिए भी बड़ा संदेश है। आगामी लोकसभा चुनाव में गाजीपुर सीट पर कमल खिलाने की फिराक में जुटी भाजपा के सामने मुकाबले के लिए अफजाल अंसारी का चेहरा हो सकता है।