राजनीति में न कोई स्थाई दोस्त होता है और न ही दुशमन. ये कहावत बड़ी पुरानी है, लेकिन है सोलह आने सच. तो क्या राजा भैया और अखिलेश यादव की दुश्मनी खत्म होने वाली है! दोनों के बीच छत्तीस का आंकड़ा है. वैसे राजा भैया उर्फ रघुराज प्रताप सिंह उनकी सरकार में मंत्री भी रहे हैं. ये संयोग ही है कि राज्यसभा चुनाव को लेकर ही दोनों की दोस्ती खत्म हुई थी. अब फिर राज्य सभा चुनाव को लेकर ही अखिलेश यादव ने राजा भैया की तरफ दोस्ती का हाथ बढ़ाया है. पर सवाल ये है कि क्या राजा मान जाएंगे.
यूपी से राज्य सभा की दस सीटों के चुनाव होने हैं. समाजवादी पार्टी ने तीन उम्मीदवार दिए हैं. जया बच्चन, आलोक रंजन और रामजी लाल सुमन. बीजेपी की तरफ से आठ उम्मीदवार चुनाव में हैं. बीजेपी के संजय सेठ के चुनाव लड़ने से मामला पेचीदा हो गया है. राज्य सभा की दस सीटें हैं और ग्यारह उम्मीदवार मैदान में हैं. राज्य सभा की एक सीट के लिए 37 वोट चाहिए. समाजवादी पार्टी के पास अपने 108 विधायक हैं. कांग्रेस के दो विधायक भी उनका समर्थन कर सकते हैं. लेकिन अखिलेश यादव को लगता है कि उनकी ही पार्टी के कुछ एमएलए क्रॉस वोटिंग कर सकते हैं. इसीलिए वे राजा भैया का समर्थन चाहते हैं.