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जाट बाहुल्य सीट भरतपुर में किसके सिर पर सजेगा ताज, पढ़िए इस खास रिपोर्ट में

Rajasthan: भरतपुर लोकसभा सीट पर भाजपा और कांग्रेस में कांटे की टक्कर एक तरफ भाजपा प्रत्याशी रामस्वरूप कोली जीत का दावा कर रहे हैं तो दूसरी तरफ कांग्रेस प्रत्याशी संजना जाटव क्षेत्र में सभी कौमों से मिले समर्थन से मजबूत स्थिति में है। दोनों पार्टियों के स्टार प्रचारक और स्थानीय नेताओं ने अपनी पूरी ताकत झोंक रखी है।

एक तरफ सूबे के मुखिया भजनलाल शर्मा और बीजेपी की प्रतिष्ठा दांव पर है क्योंकि सीएम का गृह जिला अलावा पिछले दो बार से यहां बीजेपी का कब्जा है तो ऐसे में प्रदेश के मुखिया के लिए यह शीट काफी अहमियत रखती है इसलिए सीएम ने लगातार तूफानी दौरे कर वोटर्स की नब्ज टटोलकर उन्हे साधने का प्रयास किया है। भले ही आठ विधानसभा वाले इस लोकसभा क्षेत्र में 6 बीजेपी सहित दो अन्य पार्टियों के प्रतिनिधि भी बीजेपी के समर्थन में काम कर रहे है। फिर भी  कांग्रेस प्रत्याशी संजना जाटव को सभी जातियों की सहानुभूति मिली हुई है ।

इस बार बीजेपी ने मौजूदा सांसद रंजीता कोली का टिकट काटकर पूर्व सांसद रामस्वरूप कोली पर दाव खेला है लिहाजा देखा जा रहा है कि मोदी लहर के साथ राम मंदिर का मुद्दा भी क्षेत्र में चुनावी चर्चा के दौरान मुख्य भूमिका में है और बीजेपी वाले इसका पूरा फायदा लेने में लगे हुए हैं। लेकिन क्षेत्र में बेरोजगारी और महंगाई भी चुनावी मुद्दा बना हुआ है जिसका कांग्रेस पूरा फायदा उठा रही है

दूसरी तरफ कांग्रेस प्रत्याशी संजना जाटव प्रदेश में सबसे युवा प्रत्याशी होने के साथ बीए एलएलबी है शिक्षित युवा प्रत्याशी होने से युवाओं में संजना के प्रति विश्वास और उत्साह जीत के माइने साबित हो सकते है। साथ ही जाट समाज के प्रतिष्ठित पूर्व कैबिनेट मंत्री राजपरिवार के सदस्य विश्वेंद्रसिंह और कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव सचिन पायलट का साथ मिला हुआ है। जिन्होंने क्षेत्र में कई जनसभाएं कर समर्थन मांगा है। 2019 के लोकसभा चुनाव में कुल मतदाताओं की संख्या लगभग 19 लाख थी इस बार 2024 में मतदाताओं में बढ़ोतरी होने के बाद लगभग 21 लाख से ऊपर हो गई है। 

यदि जातीय समीकरण की बात की जाए तो जाट और गुर्जर समाज हार–जीत तय करेगा। जाट फैक्टर चुनाव में बदलाव की हवा ला सकता है क्योंकि भरतपुर– धौलपुर के जाटों को केंद्र में आरक्षण नहीं मिलने से यहां जाटों में भीतरखाने नाराजगी देखने को मिल रही है। ऐसे में यदि जाट वोटर्स डाइवर्ट हुआ है तो प्रदेश के मुखिया और बीजेपी के लिए मुश्किलें खड़ी हो सकती है । हालांकि प्रदेश के मुखिया ने जाट क्षेत्र में सभाएं कर साधने की पूरी कोशिश की है लेकिन अंदरखाने जाटों की नाराजगी हाल में देखने को मिल रही है। बीजेपी के स्थानीय विधायक कुँ जगत सिंह और डॉ शैलेश सिंह लगातार क्षेत्र में जनसंपर्क कर रहे हैं।

दूसरी तरफ राजपरिवार के सदस्य विश्वेंद्र सिंह ने भी अपनी पूरी ताकत झोंक रखी है। निश्चित तौर पर समाज का सहानुभूति राज परिवार की तरफ अधिक होती है। साथ ही जाट आरक्षण संघर्ष समिति से जुड़े स्थानीय जाट नेता नेमसिंह फौजदार भी बीजेपी के खिलाफ मोर्चा खोले हुए हैं। ऐसे में बीजेपी को नुकसान और कांग्रेस को दोहरा लाभ मिल सकता है।
  
दूसरी तरफ गुर्जर समाज के वोटर्स भी बहुतायत मात्रा में है। भले ही गुर्जर समाज से स्थानीय विधायक जवाहर सिंह बेड़म मौजूदा सरकार में मंत्री हैं लेकिन समाज के मास लीडर कांग्रेस राष्ट्रीय महासचिव सचिन पायलट माने जाते है। विधानसभा चुनाव में गुर्जर समाज ने बीजेपी को वोट किया था लेकिन वर्तमान में सचिन पायलट की क्षेत्र में सक्रियता से गुर्जर समाज में कांग्रेस के प्रति काफी जोश है। 

इस बार अधिकांश ब्राह्मण वोट बीजेपी की तरफ डायवर्ट हो सकता है। लेकिन एससी, एसटी, कुशवाह समाज और मुस्लिम समुदाय कांग्रेस का वोट बैंक माना जाता है। लेकिन दोनों पार्टियों की निगाहें जाट वोटर्स पर टिकी  हैं। इससे पूर्व दोनों लोकसभा चुनावों में जाट समाज का अधिकांश झुकाव बीजेपी की तरफ रहा है। लेकिन इस बार परिस्थितियां अलग है। ऐसे में जाहिर है यदि जाट वोट बैंक कांग्रेस की तरफ खिसकता है तो बीजेपी की मुश्किलें बढ़ सकती हैं। और कांग्रेस लीड ले सकती है।
 
कल 19 अप्रैल की तारीख तय करेगी आखिर ऊंट किस करवट बैठता है। लेकिन वर्तमान में दृश्य यह बयां कर रहा है कि दोनों ही पार्टियों ने अपने प्रत्याशियों को जिताने के लिए पूरी ताकत झोंक रखी है। एक तरफ बीजेपी मोदी लहर और राम मंदिर को मुद्दा बनाकर जीत  के लिए जमकर प्रयास कर रही है। तो दूसरी तरफ कांग्रेस पार्टी भी बेरोजगारी और महंगाई को मुद्दा बनाकर जनता के बीच बीजेपी के मिशन 25 के रिवाज को तोड़ने के लिए जमकर मेहनत कर रही है।

रिपोर्ट: लोकेश चौधरी