ग्लेशियरों के पिघलने से हिमालयी रीजन में पानी की उपलब्धता खतरे में है, जो पिछले छह दशकों में 25 प्रतिशत कम हो गई है। विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि मौजूदा जलवायु परिवर्तन को लेकर भले ही दुनिया परवाह करे, बावजूद इस सदी के अंत तक 48 प्रतिशत ग्लेशियर और नष्ट हो जाएंगे।
कश्मीर विश्वविद्यालय में किए गए अध्ययनों से पता चला है कि जलवायु परिवर्तन के कारण जम्मू कश्मीर और लद्दाख में ग्लेशियर तेजी से पिघल रहे हैं। गर्मियों के महीनों में श्रीनगर-लेह राष्ट्रीय राजमार्ग के किनारे बर्फ से ढके पहाड़ों पर बसने वाले खानाबदोश सालों से ग्लेशियरों के पिघलने के गवाह हैं।
उनका कहना है कि पिछले कुछ सालों में पहाड़ों पर बर्फ की लंबाई और फैलाव कम हुआ है। विशेषज्ञों का मानना है कि ग्लेशियर के नष्ट होने से हाइड्रोलॉजी- सतही जल और भूजल दोनों पर काफी प्रभाव पड़ने वाला है।
विशेषज्ञों के अनुसार, ग्लेशियर नष्ट होने से, पानी की उपलब्धता पर असर पड़ेगा। पानी पर निर्भर करने वाले क्षेत्र जैसे कृषि और बागवानी पर भी इसका असर पड़ेगा। जैव विविधता भी इससे प्रभावित होगी।