17 दिन का लंबा इंतजार और टनल में फंसे हमारे मजदूर सुरक्षित निकाल लिए गए हैं. ये लम्हा काफी भावुक करने वाला था जब 17 दिन घने अंधेरे में फंसे मजदूरों को बाहर निकाला जा रहा था. 17 दिन से रात दिन पूरा देश उनकी सलामती की दुआ मांग रहा था. अब इन मजदूरों को शारीरिक जांच के लिए अस्पताल ले जाया गया है. जहां उनकी जांच और उचित इलाज किया जाएगा. बाहरी चोट के साथ साथ इस हादसे ने मजदूरों को अंदरूनी तौर पर भी नुकसान पहुंचाया होगा. 17 दिन घने अंधेरे में धूल- मिट्टी के बीच सांस लेने को मजबूर इन मजदूरों के लंग्स में भी इंफेक्शन होने का खतरा है.
आप सोच सकते है कि प्रदूषण के बीच धूल मिट्टी के छोटे पार्टिकल हमारी क्या हालत करते है तो 17 दिन इस धूल मिट्टी के बीच सांस लेने से इनके लंग्स पर कितना बुरा असर पड़ा होगा.
- सांस लेने में तकलीफ
- लंग्स में इन्फेक्शन
- लंग्स में पानी भरना
- टीबी
- खांसी की समस्या हो सकती है