सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को बिहार सरकार से कहा कि वो जाति सर्वेक्षण का पूरा विवरण सार्वजनिक करे, ताकि असंतुष्ट लोग निष्कर्षों को चुनौती दे सकें।
न्यायमूर्ति संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता की पीठ ने उन याचिकाकर्ताओं को कोई अंतरिम राहत देने से इनकार कर दिया, जिन्होंने जाति सर्वेक्षण और इस तरह की कवायद करने के बिहार सरकार के फैसले को बरकरार रखने वाले पटना हाई कोर्ट के आदेश को चुनौती दी है।
याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता राजू रामचंद्रन ने कहा कि चूंकि सर्वेक्षण का डाटा सामने आ गया है, अधिकारियों ने इसे अंतरिम रूप से लागू करना शुरू कर दिया है और एससी, एसटी, अन्य पिछड़ा वर्ग, अत्यंत पिछड़ा वर्ग और आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों (ईडब्ल्यूएस) के लिए आरक्षण को मौजूदा 50 प्रतिशत से बढ़ाकर 75 प्रतिशत कर दिया है।