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अगली पीढ़ी के लिए विनाशकारी स्थिति पैदा कर रहे, श्रीराम पर टिप्पणियों को लेकर बोले सद्गुरु रितेश्वर महाराज

जयपुर: रितेश्वर महाराज ने कहा आज ने केवल हिंदू बल्कि सभी संप्रदाय भगवान राम पर की जारी विभिन्न टिप्पणियों से प्रभावित हो रहे हैं, जिनका कोई आधार नहीं है. लेकिन वह हमारी अगली पीढ़ी के लिए ऐसी विनाशकारी स्थिति पैदा कर रहे हैं जहां वे सभी से अलग हो सकते हैं. बहुत ही प्रभावशाली संस्कृत झटका जैसा कि आपने वीडियो में देखा जहां विभिन्न महत्वपूर्ण व्यक्ति और पथ प्रदर्शक हमारे भगवान श्री राम पर इस तरह की आधारहीन और अभद्र टिप्पणियां कर रहे है.

आज की दुनिया में जहां हम रामोत्सव के आयोजन से खुश है और भगवान राम की घर वापसी का जश्न मना रहे हैं. आज भगवान राम को अयोध्या धाम में स्थापित किया जा रहा है. पूरी दुनिया खुश है लेकिन फिर भी नैतिक रूप से अस्त्र लोगों का एक संप्रदाय है जो जाने अनजाने भगवान राम की सभी को धूमिल कर रहा है. वह अपने छोटे-छोटे निजी लाभ या स्वार्थ के लिए इरादार तथ्य बेच रहे हैं. हमें इसकी चिंता नहीं है कि कौन क्या कह रहा है और वह कहां कह रहे हैं. हमारी चिंता मिथक और आधारहीन अफवाह के खतरनाक प्रभाव और परिणाम को लेकर है.

उत्तर प्रदेश में पार्टी के प्रमुख ने भगवान राम के बारे में बोलते हुए कहा कि वह राजा दशरथ के पुत्र थे ही नहीं कहा कि भगवान राम राजा दशरथ के असली पुत्र नहीं थे. वह ऋष्यश्रृंग के पुत्र थे, जिन्होंने यज्ञ किया था। इन्हें दशरथ का कति पुत्र कहा जा सकता है।

हाल ही में बिहार के शिक्षा मंत्री के एक बयान पर काफी हंगामा हुआ था. शिक्षा मंत्री ने नालंदा विश्वविद्यालय में आयोजित एक कार्यक्रम में तुलसीदास के रामधरितमानस को नफरत की किताब बताया था. उन्होंने कहा रामचरितमानस में निचली जाति के लोगों को शिक्षा देने के खिलाफ बात करते हुए कहा गया है कि शिक्षा प्राप्त करने के बाद से उसी तरह जहरीले हो जाएंगे जैसे दूध पीने के बाद सांप जहरीले हो जाते हैं।

बिहार के उप मुख्यमंत्री ने कहा था कि, राम मंदिर बनने से क्या रोजगार पैदा हो जाएगा. पैर कटने के बाद मंदिर जाओगे या हॉस्पिटल? भूख लगेगी तो क्या मंदिर जाओगे? यहाँ तो उल्टा दान देना पड़ेगा. वहीं दक्षिण भारत के एक प्रसिद्ध लेखक ने एक बार टिप्पणी की थी कि भगवान राम सीता मैया के साथ प्रतिदिन शराब पीते थे. सबसे पहले एक बात स्पष्ट कर दें कि हिंदू धर्म में मास खाना वर्जित नहीं है। खासकर क्षत्रियों और वनवासियों के लिए तो बिल्कुल भी नहीं। जगत में कई बार आपके पास मांस के अत्ताक कोई दूसरा विकल्प नहीं होता है. गोमांस खाने की सख्त मनाही है. हिंदू धर्म आपको मांस खाने से नहीं रोकता है. कुछ सम्प्रदाय ऐसा करते है. 

अब रामायण के बारे में, कुछ लोग कहते हैं. यह अयोध्या-कांड, अध्याय 20, 26 और 94 में वर्णित है, कि जब राम को वनवास के लिए भेजा गया तो उन्होंने अपनी मां से कहा कि उन्हें अपने स्वादिष्ट मांस व्यंजनों का त्याग करना होगा। यदि राम को अपने स्वादिष्ट मांस के व्यंजनों का त्याग करना पड़ेगा, तो इसका मतलब है कि राम मांस का सेवन करते थे. यदि राम मांस खा सकते हैं तो हिंदू मास क्यों नहीं खा सकते? सीता ने राम से हिरन को मारने के लिए कहा। सीता एक मेरे हुए पालतू जानवर का क्या करेगी? एकमात्र तार्किक उत्तर यह है कि वह हिरन का मांस खाना चाहती थी। यदि राम और सीता मांस खा सकते हैं तो अन्य हिंदू मांस क्यों नहीं खा सकते?"