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मध्य प्रदेश में सियासी भूमिका या राम मंदिर का श्रेय, आखिर क्या चाहती हैं उमा भारती

अयोध्या में भव्य राममंदिर बनकर तैयार हो रहा है और 22 जनवरी को रामलला के प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम है, जिसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी यजमान की भूमिका में होंगे. 500 साल के बाद रामलला विराजमान होंगे, जिसे लेकर तैयारियां जोर-शोर से चल रही हैं. राम मंदिर आंदोलन का मुख्य चेहरा रहीं उमा भारती ने कहा कि राम जन्मभूमि आंदोलन 500 साल का संघर्ष है और किसी भी एक व्यक्ति को इसकी सफलता का पूर्ण श्रेय नहीं जा सकता. राम मंदिर का श्रेय सबसे पहले और सबसे ज्यादा उन कारसेवकों को मिलना चाहिए, जिन्होंने आंदोलन के दौरान अपनी जान देने का काम किया था.

उमा भारती ने कहा कि अगर अयोध्या में वो (बाबरी मस्जिद) ढांचा न गिराया गया होता तो कोई भी सर्वे संभव नहीं था. ढांचा गिरने के बाद सर्वे हुआ और सुप्रीम कोर्ट ने उसके नतीजों को स्वीकार किया, जिसके बाद ही राम मंदिर बनने का मार्ग निकला है. ये आंदोलन पांच सदियों तक चला. ये देश का इकलौता ऐसा आंदोलन है जो 500 वर्षों तक चला और सफल हुआ. इसका श्रेय किसी एक व्यक्ति को नहीं जा सकता है. ऐसे में मुझे लगता है कि सबसे पहले और सबसे ज्यादा श्रेय उनको जाना चाहिए, जिन्होंने इसके लिए अपनी जान दे दी और जिन्होंने विवादित ढांचे को ढहाया. राम भक्ति पर सिर्फ हमारा एकाधिकार नहीं है बल्कि भगवान राम सबके हैं.