जिस नीतीश कुमार ने इंडिया गठबंधन की आधारशिला रखी. पटना, दिल्ली से लेकर कोलकाता तक जाकर सभी विपक्षी पार्टियों को साथ लाने की पहल की, वह अब पाला बदल उसी भारतीय जनता पार्टी के साथ हो लिए हैं जिनकी सरकार को 2024 में हराने के लिए तमाम तरह की कोशिश में जुटे थे. ऐसा लगता है कि वह बहुत हद तक अपने प्रयासों में सफल नहीं हो पर रहे थे. ऐसे में उन्होंने राह बदल लिया.
आज महागठबंधन का साथ छोड़ते हुए भी नीतीश कुमार ने यही कहा कि इंडिया गठबंधन में कुछ काम नहीं हो रहा था, वहां तकलीफ हो रही थी. सवाल है कि क्या इंडिया गठबंधन लड़ने से पहले ही हार गया है या फिर गठबंधन को ये महज एक धक्का लगा है और वह जल्द उठ खड़ा होगा? बात दरअसल ये है कि नीतीश कुमार और उनकी पार्टी ही को लेकर अगर इंडिया गठबंधन में खींचतान रहती तो कोई बात न थी. मामला तो ये है कि उत्तर प्रदेश, पंजाब, पश्चिम बंगाल में भी सीट समझौता अभी तक फंसा हुआ है.