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पानी में ‘दारू का गोदाम’…बिहार में ‘नदी मार्ग’ शराब तस्करी के लिए कैसे बन रहा सेफजोन

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बिहार में शराबबंदी कानून साल 2016 में लागू की थी, तब ऐसा लग रहा था कि प्रदेश में शराब बेचने और पीने पर पूरी तरह रोक लग जाएगी. लेकिन ऐसा नहीं हुआ. प्रदेश में हरियाणा, पंजाब, उत्तर प्रदेश और अन्य राज्यों से शराब की तस्करी की जाने लगी . हालांकि, पुलिस ने सीमावर्ती इलाकों में मजबूत घेराबंदी कर काफी हद तक इस पर रोक लगाई है. लेकिन अपराधी शराब तस्करी के नए-नए पैंतरे अपनाने लगे हैं. सीमावर्ती राज्यों से सड़क मार्ग की बजाए, नदी मार्ग से शराब बिहार आने लगी है. तस्करों के लिए नदी मार्ग सेफ जोन बनता जा रहा है.

शराब तस्करी के लिए अपराधी नदी मार्ग को क्यों सेफ जोन मानते हैं…इसे जानने-समझने के लिए हम कुछ पुराने शराब तस्करी के मामलों पर नजर डालते हैं, जिसका खुद पुलिस ने खुलासा किया था. साल 2022 का यह मामला है. सारण के छपरा पुलिस को पता चला कि नदी के रास्ते शराब की खेप को छपरा में लाया जा रहा है. पुलिस की कई टीमें नदी के किनारे पहुंचीं. लेकिन उन्हें कुछ नहीं मिला. हालांकि, खबरियों ने पुलिस को आश्वस्त किया कि नदी के रास्ते शराब की तस्करी की जा रही है.