झारखंड: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पलामू में जनसभा को संबोधित करते हुए कहा, "मेरे जीवन को आप भली-भांति जानते हैं। मैं गरीबी का जीवन जीकर आया हूं। मैंने गरीबी को जीया है। गरीब की जिंदगी कितनी तकलीफ वाली होती है, उससे मैं गुजरते-गुजरते यहां आया हूं। इसलिए 10 वर्षों में गरीब कल्याण की हर योजना की प्रेरणाओं ने मेरे अपने जीवन के अनुभव से जन्म लिया है। ये आंसू वही समझ सकता है जिसने गरीबी देखी हो। जिसने मां को धुंए में खासते देखा नहीं उसे ये आंसू कभी समझ नहीं आ सकते।
जिसने अपना पेट बांधकर मां को सोते नहीं देखा, जिसने लोटा भर पानी पीकर मां को भूख मिटाते नहीं देखा, जिसने अपनी बीमारी को छिपाते नहीं देखा, शौचालय के अभाव में पीड़ा और अपमान सहते नहीं देखा वो मोदी के इन आंसुओं का मर्म नहीं समझेगा। लेकिन ये कांग्रेस के शहजादे मोदी के आंसुओं में अपनी खुशी ढूंढ रहे हैं।
कहते हैं कि मोदी के आंसू अच्छे लगते हैं। वो तो गर्व से कहते हैं कि उनके घर में कई प्रधानमंत्री थे। वे चांदी के चम्मच से खाते रहे। गरीब की, दलित और आदिवासी झोपड़ी में फोटो खिंचवाते रहे लेकिन गरीब के लिए कुछ नहीं किया।"