शादी की मान्यता, तलाक के नियम और अलगाव के बाद उसी इंसान से शादी करना आसान होगा या मुश्किल, ऐसी तमाम बातों का जिक्र उत्तराखंड विधानसभा में पेश किए गए समान नागरिक संहिता (UCC) विधेयक में किया गया है. मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने मंगलवार को सदन के पटल पर यूसीसी बिल रखा. इस बिल में शादी से जुड़े कई ऐसे कानूनों का जिक्र किया गया है जो सभी धर्मों में मान्य होगा.
कब-कब मिलेगा तलाक, यूं समझें
तलाक अगर लेना है तो इसके लिए भी कुछ शर्तें रखी गई हैं. उन स्थितियों में तलाक के लिए आवेदन किया जा सकेगा. जैसे- किसी एक पक्षकार ने विवाह के बाद किसी अन्य से स्वेच्छा से शारीरिक सम्बंध बनाए हैं. याचिकाकर्ता के साथ क्रूर व्यवहार किया गया हो. अगर दूसरे पक्षकार ने याचिकाकर्ता को दो साल से त्याग रखा हो. अगर याचिकाकर्ता के धर्म से किसी अन्य धर्म में परिवर्तन कराया जाता है तो तलाक मिल सकेगा.
अगर पति और पत्नी में से कोई भी जिंदा है तो बिना तलाक के दूसरी शादी नहीं कर सकते, चाहे वह किसी भी धर्म से हो. अगर शादी के बाद कोई भी एक धर्म परिवर्तन करता है तो दूसरे को तलाक लेने और गुजारा भत्ता लेने का पूरा अधिकार होगा.
तलाक के बाद शादी करनी हो तो?
अगर तलाक के बाद महिला फिर से उसी पुरुष से शादी करना चाहती है तो उसके लिए हलाला और इद्दत की जरूरत नहीं होगी. अगर कोई ऐसा करने के लिए महिला को मजबूर करता है तो उसे 3 साल की जेल और एक लाख रुपए जुर्माना देना पड़ेगा.
शादी का रजिस्ट्रेशन क्यों जरूरी?
आप गांव में रहते है या शहर में, शादी का रजिस्ट्रेशन कराना होगा. ग्राम पंचायत, नगर पंचायत, नगर पालिका, नगर निगम और जिला व राज्य स्तर पर मैरिज रजिस्ट्रेशन करना होगा. मैरिज रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया आसान हो इसके लिए वेब पोर्टल भी लॉन्च किया जाएगा. सरकार का कहना है कि शादी के रजिस्ट्रेशन से अगर कोई शख्स किसी को धोखा देकर दूसरी शादी करने जा रहा हे तो उसके बारे में पता चल जाएगा.
सरकार कहती है, अगर मैरिज रजिस्ट्रेशन नहीं कराते हैं तो भी शादी मान्य होगी, लेकिन आपको सरकारी लाभ नहीं मिलेंगे. हर धर्म के लोग शादी को अपनी परंपरा के हिसाब से निभा सकते हैं, इसको छेड़ा नहीं गया है.