अयोध्या में रामलला के प्राण प्रतिष्ठा की तारीख जैसे-जैसे करीब आ रही है वैसे-वैसे सियासी पारा भी बढ़ता जा रहा है. 22 जनवरी को होने वाले समारोह के लिए देश की प्रमुख विपक्षी पार्टी कांग्रेस के दिग्गज नेताओं को भी न्योता मिला, लेकिन उन्होंने इसे अस्वीकार कर दिया है. कांग्रेस का कहना है कि ये आयोजन बीजेपी और RSS का है और राम मंदिर को राजनीतिक परियोजना बना दिया गया है. ये चुनावी लाभ के लिए किया जा रहा है.
कांग्रेस आरोप लगाती रही है कि बीजेपी राम मंदिर मामले पर राजनीति करती है और वो सत्ता हथियाने के लिए इसका इस्तेमाल करती है. याद कीजिए साल 2019, जब सुप्रीम कोर्ट ने राम मंदिर पर फैसला दिया था. कोर्ट के निर्णय पर कांग्रेस ने कहा था कि इस मामले पर राजनीति कर सत्ता हथियाने का प्रयास करने वाली बीजेपी जैसे दलों के दरवाजे हमेशा के लिए बंद हो गए. अब ये दल राम मंदिर के मुद्दे पर अपनी राजनीतिक रोटियां नहीं सेक सकेंगे. कांग्रेस ने कहा, सुप्रीम कोर्ट का फैसला सभी के लिए सम्मान का प्रतीक है. सभी समुदायों को एक दूसरे की आस्था और विश्वास का सम्मान करना चाहिए.