जातिगत गत जनगणना के समीकरण सामने आने के बाद से सियासी पारा गरम हो गया है। बिहार की राजनिति में पार्टियों में बीच चहलकमी का दौर काफी तेज हो चुका है। बीते कई दिनों से जातिगत जनगणना कराने के लिए संघर्ष किया । बिहार के राजनिति समीकरण को साधने के लिए जातिगत जनगणना अपने आप में एक बड़ा चुनावी टूल माना जा रहा है। जिसके लिए नीतीश बाबू ने काफी जदोजहद भी की अततः नीति सरकार ने जातिगत जनगणना को कराने में सफल रहे हैं। जिसके आज समीकरण भी सभी सामने आ चुकें हैं। जातिगत जन गणना की रिपोर्ट सामने आने के बाद से सियासी पारा बेहद गरम हो गया है।
तो वहीं अब इस रिपोर्ट के बाद से सियासत तेज हो गई है। जिस तमाम तरह की प्रतिक्रियाएं भी सामने आ रही है। नीतीश ने ये भी कहा है कि हमने अपना काम पूरा कर लिया है। बिहार में 13.5 करोड़ की आबादी में कुढ इस तरह से आकड़ें सामने निकलकर आए है। आको बता दे कि ये नीतीश चसरकार का बड़ा दाव माना जा रहा है। कुछ दलों के नेताओं का साफ तौर पर मानना है कि ये आकड़े सामान्य है ये सिर्फ सरकार का भ्रम फैलाने का मकसद है। तो वहीं आरजेडी ने इस ऐतिहासिक छल बताया है।
तो आइए डालते हैं इन आकड़ों पर एक नजर...
ये जो जाति आधार गणना की गई है। इससे स्थिति साफ हो गई है। कि 27 फीसदी की आबादी पिछड़ा वर्ग के सामने निकलकर आए हैं। तो वहीं कुर्मी 2.8 फीसदी है तो यादव बिहार मे 14 फीसदी है। 2 फीसदी से अनुसूचित जाति के बताई गई है। जिसके बाद से बताए जा रहा है कि ये जो आकड़ें दिखाए गए है।
राज्य सरकार के आंकड़ों के मुताबिक बिहार में सबसे ज्यादा 36 फीसदी अति पिछड़ा वर्ग, 27 फीसदी पिछड़ा वर्ग, 19 फीसदी से ज्यादा अनुसूचित जाति, 15.52 फीसदी सवर्ण (अनारक्षित वर्ग), और 1.68 फीसदी अनुसूचित जनजाति की जनसंख्या है.