उत्तर प्रदेश की सियासत में पीएम मोदी की अगुवाई वाली बीजेपी के विजय रथ को रोकने के लिए सपा प्रमुख अखिलेश यादव एक के बाद एक नया सियासी प्रयोग कर रहे हैं, लेकिन अभी तक सफल नहीं हो सके हैं. अखिलेश यादव 2024 के चुनाव में कांग्रेस के साथ गठबंधन का ही प्रयोग नहीं कर रहे हैं बल्कि सामाजिक प्रयोग भी कर रहे हैं, जिसे पीडीए का नाम दिया है. पीडीए का मतलब पिछड़ा, दलित और अल्पसंख्यक बताया जा रहा है. 2024 की रणभूमि में सपा की तरफ से घोषित किए गए उम्मीदवारों की सूची से एक बात साफ दिख रहा है कि ब्राह्मण पूरी तरह साफ तो ठाकुर और मुस्लिम हाफ. अखिलेश अब न ही एमवाई और न ही पीडीए फॉर्मूले पर दांव खेल रहे हैं बल्कि D-P (दलित-पिछड़) समीकरण को लेकर आगे बढ़ रहे हैं.