पाकिस्तान के दो सेवानिवृत्त सैन्य अधिकारियों को राजद्रोह के लिए भड़काने के मामले में कोर्ट मार्शल के साथ ही 14 वर्ष तक कठोर कारावास की सजा सुनाई गई है। इसकी घोषणा शनिवार को की गई। यह नौ मई को सैन्य प्रतिष्ठानों पर हुए हमलों के मामले में सैन्य अदालतों में ट्रायल शुरू होने के संकेत हैं।
अदालत ने मेजर (सेवानिवृत्त) आदिल फारुक रजा और कैप्टन (सेवानिवृत्त) हैदर रजा मेहदी को उनकी अनुपस्थिति में यह सजा सुनाई है। वह दोनों विदेश में रह रहे हैं। इसलिए वे इस सजा को भुगतेंगे, इसकी संभावना न के बराबर है।
सेना की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि उन्हें सेना के जवानों को राजद्रोह के लिए भड़काने के आरोप में पाकिस्तान सेना अधिनियम 1952 के तहत फील्ड जनरल कोर्ट मार्शल (एफजीसीएम) के माध्यम से दोषी ठहराया गया और सजा सुनाई गई है।
बयान में कहा गया है कि दोनों से जासूसी से संबंधित आधिकारिक गोपनीयता अधिनियम 1923 के प्रावधानों का भी उल्लंघन किया है और राज्य की सुरक्षा और हित के लिए खिलाफ कार्य किए हैं। मेजर आदिल फारुक रजा को 14 वर्ष के कठोर कारावास की सजा सुनाई गई, जबकि कैप्टन मेहदी को 12 वर्ष के कठोर कारावास की सजा दी गई है।