भारत जब अपने 75वें गणतंत्र दिवस पर फ्रांसीसी राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों की मेजबानी कर रहा है, नई दिल्ली और पेरिस की निकटता पर लंबे-चौड़े लेख लिखे जा रहे हैं, उस फ्रांसीसी राष्ट्रपति को याद करना जरूरी हो जाता है जिसने भारत का तब साथ दिया जब कोई उसका हमराह होने को तैयार न था. बगैर उसके दृढ संकल्प के भारत-फ्रांस संबंध हो सकता है इतने मधुर नहीं हुए होते जितने आज हमें दिख रहे हैं. जिनके बारे में कुछ तो यहां तक कहते हैं कि वह भारत को समझने वाले पहले फ्रांसीसी नेता थे, हम बात कर रहे हैं फ्रांसीसी राष्ट्रपति जैक्स शिराक की. शिराक दो बार फ्रांस के प्रधानमंत्री, दो दफा ही राष्ट्रपति और लगभग 18 बरस तक राजधानी पेरिस के मेयर रहे. यूरोप में गिने-चुने ऐसे नेता हैं जिनका राजनीतिक करियर लगातार इतना लंबा रहा हो.