कोहरा भी कम था, लेकिन दूर-दूर तक धूप का नामोनिशान नहीं. पर, उम्मीद भी और भरोसा भी. इसी विश्वास के साथ कांग्रेस के कुछ नेता लॉन में बैठे थे. लोकसभा चुनाव पर बहस जारी थी. कांग्रेस को इंडिया गठबंधन में कितनी सीटें मिल सकती हैं. समाजवादी पार्टी के खाते में कितनी जाएंगी, कौन सी सीट किस पार्टी को मिल सकती है, ऐसे सारे सवालों के जवाब कांग्रेस के नेता आपस में ही ढूंढने लगते हैं.
समाजवादी पार्टी का ऑफिस लखनऊ में कांग्रेस ऑफिस से बस एक किलोमीटर की दूरी पर है, लेकिन अखिलेश यादव की पार्टी का कल्चर अलग है. वहां इस तरह की चर्चा नहीं होती है. कांग्रेस से सीटों के बंटवारे से पहले अखिलेश यादव अपनी पार्टी में आखिरी बार सलाह मशविरा कर लेना चाहते हैं. इंडिया गठबंधन में आने के बाद से वे इस मुद्दे पर लगातार बैठकें करते रहे हैं.