हिंदू मान्यताओं के अनुसार तुलसी पूर्व जन्म में एक लड़की थी, जिसका नाम वृंदा था और राक्षक कुल में ही जन्म हुआ था. राक्षस कुल में जन्मी यह बच्ची बचपन से ही भगवान विष्णु की भक्त थी. जब वह बड़ी हुई तो उनका विवाह राक्षस कुल में ही दानव राज जलंधर से संपन्न हुआ था. राक्षस जलंधर समुद्र से उत्पन्न हुआ था. वृंदा बड़ी ही पतित्र स्त्री थी. वह सदा अपने पति की सेवा किया करती थी.
जब एक बार देवताओं और दानवों में युद्ध हुआ जब जलंधर युद्ध पर जाने लगे तो वृंदा ने कहा कि आप युद्ध पर जा रहे हैं, आप जब तक युद्ध में रहेंगे, मैं पूजा में बैठकर आपकी जीत के लिए अनुष्ठान करुंगी. जब तक आप नहीं लौट आते मैं अपना संकल्प नहीं छोड़ूंगी. इसके बाद जलंधर तो युद्ध में चला गया और वृंदा व्रत का संकल्प लेकर पूजा में बैठ गई. उसके व्रत के प्रभाव से देवता भी जलंधर को न हरा सके. सारे देवता जब हारने लगे तो विष्णु जी के पास पहुंचे और सभी ने भगवान से प्रार्थना की.