राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ की सत्ता में वापसी के साथ ही भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने तीनों राज्यों में पुराने चेहरों की जगह नए सीएम का ऐलान कर दिया. छत्तीसगढ़ में सीएम के लिए विष्णुदेव साय, एमपी में मोहन यादव और राजस्थान में भजन लाल शर्मा को चुना गया है. छत्तीसगढ़ में तीन बार के सीएम रहे रमन सिंह को विधानसभा स्पीकर की कुर्सी सौंपकर सेट कर दिया गया है, लेकिन 18 सालों तक एमपी की सत्ता पर काबिज रहे शिवराज सिंह चौहान और राजस्थान में दो बार की मुख्यमंत्री रहीं वसुंधरा राजे के सियासी भविष्य को लेकर बड़ा सवाल बना हुआ है.
अटल-आडवाणी युग में बीजेपी ने वसुंधरा राजे, शिवराज सिंह चौहान और डॉ. रमन सिंह को नेतृत्व के लिए चुना गया था. तीनों ही नेताओं ने अपने-अपने राज्य में खुद को क्षेत्रीय छत्रपों के रूप में स्थापित करने में कामयाबी भी हासिल की. लेकिन अब ऐसा वक्त बदला कि मोदी-शाह युग में इन तीनों ही नेताओं को ऐसी जगह पर लाकर खड़ा कर दिया है कि खुद मुख्यमंत्री बनने के बजाय पार्टी के दूसरे नेता के नाम का प्रस्ताव रखना पड़ा. इस तरह से अटल-आडवाणी युग के नेताओं की सियासत पर क्या अब विराम लग जाएगा?