फर्ज करिये आपके पिता सुप्रीम कोर्ट में वकालत करते हों, एडवोकेट ऑन रिकॉर्ड होने के नाते उनको अदालत में एक चैंबर मिला हुआ हो. ऐसे में अगर आपके पिता का निधन हो गया तो क्या आप भी सुप्रीम कोर्ट में बतौर वकील उसी चैंबर पर दावा ठोक सकते हैं? भले आप भावनात्मक दृष्टि से चाहते हों कि ऐसा हो जाए पर इसके लिए अदालत ने एक पूरी नियमावली बना रखी है और उसी की रौशनी में हाल ही में एक मामले को सुना गया.
सुप्रीम कोर्ट में ये दिलचस्प मामला लगा जस्टिस ऋषिकेश रॉय और जस्टिस प्रशांत कुमार मिश्रा की पीठ के सामने. वकील अनामिका दीवान ने कोर्ट में याचिका दायर कर उस चैंबर की मांग की थी जहां उनके पिता ‘एडवोकेट ऑन रिकॉर्ड’ के तौर पर कभी बैठा करते थे. कोर्ट ने अपने फैसले में चैंबर की मांग वाली इस याचिका को खारिज कर दिया है. यानी जिस चैंबर का हकदार अनामिका दीवान ने खुद को बताया था, कोर्ट ने उसे जायज नहीं माना.