Breaking News

मध्य अफगानिस्तान में भारी बारिश और बाढ़ से पचास लोगों की मौत     |   तीन बंधकों के शव मिलने के बाद इजरायली सेना को गाजा से मिला एक और बंधक का शव     |   लोकसभा चुनाव 2024: आज पश्चिम बंगाल में 3 जनसभा को संबोधित करेंगे PM मोदी     |   जम्मू-कश्मीर: कठुआ में संदिग्ध एक्टिविटी के बाद सुरक्षाबलों ने शुरू किया सर्च ऑपरेशन     |   यूपी और बिहार में 3 जनसभा करेंगे केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह     |  

ओडिशा के परिवार को अब भी शव का इंतजार, साढ़े सात साल से नहीं किया अंतिम संस्कार

जुलाई 2016 में बंगाल की खाड़ी के ऊपर लापता हुए भारतीय वायु सेना के एएन-32 परिवहन विमान में सवार 29 लोगों में से एक चरण मोहराना के लापता होने को साढ़े सात साल से अधिक समय बीत चुका है। लेकिन उनका परिवार अभी भी उनके पार्थिव शरीर का अंतिम संस्कार के लिए इंतजार कर रहा है। इतने सालों तक परिवार ने ये उम्मीद करते हुए अंतिम संस्कार नहीं किया कि एक दिन शव मिलेगा। दरअसल, चरण के माता-पिता को अभी भी अपने बेटे के शव वापस मिलने की उम्मीद है।

22 जुलाई 2016 को लापता हुए परिवहन विमान का मलबा चेन्नई तट के पास बंगाल की खाड़ी में लगभग 3,400 मीटर की गहराई पर पाए जाने के बाद उनकी उम्मीदें बढ़ गई हैं। चरण मोहराना (27) गंजम जिले के सुकुंडा गांव के रहने वाले थे और आंध्र प्रदेश  विशाखापत्तनम में एक फिटर के तौर पर काम करते थे। जाजपुर जिले के रंगरंगा गांव के पूर्ण चंद्र सेनापति राज्य के दूसरे व्यक्ति थे जो विमान में थे।

विमान के लापता होने के कुछ दिनों बाद विशाखापत्तनम में नौसेना आयुध डिपो के दो अधिकारियों ने चरण के माता-पिता को उसके लापता होने की आधिकारिक सूचना दी थी। चरण की बहन सस्मिता मोहना ने कहा कि हमने उनका अंतिम संस्कार नहीं किया है क्योंकि उनका शव नहीं मिला है।

चरण के 75 वर्षीय पिता सुदाम मोहना ने कहा कि चूंकि लापता विमान का मलबा चेन्नई तट के पास मिला है, हमें उम्मीद है कि मेरे बेटे का शव भी समुद्र तल के पास मिलेगा। चरण की 65 वर्षीया मां ने कहा कि भले ही सरकार ने उनकी मृत्यु की घोषणा की और मुआवजा दिया, लेकिन मुझे इस पर विश्वास नहीं हुआ क्योंकि उनका शव नहीं मिला था।

वहीं उसके चचेरे भाई अशोक को अब भी उसका शव पाने की उम्मीद है। लापता विमान का मलबा चेन्नई तट से लगभग 310 किमी दूर समुद्र तल पर पाया गया। मिनिस्ट्री ऑफ अर्थ साइंस के तहत नेशनल इंस्टट्यूट ऑफ ओशियन टेक्नोलॉजी ने मलबे का पता लगाया था।