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मुरादाबाद मंडल बना सियासी प्रयोगशाला

लोकसभा चुनाव की सियासी तपिश के साथ सभी की निगाहें उत्तर प्रदेश पर लगी हैं. बीजेपी सूबे में क्लीन स्वीप करने का टारगेट लेकर चल रही है, जिसके लिए उसकी नजर पश्चिमी यूपी के मुरादाबाद मंडल पर है. बीजेपी के सबसे कमजोर दुर्ग को दुरुस्त करने के लिए पीएम मोदी सोमवार को संभल में कल्किधाम का शिलांयास करके एक मजबूत आधार रखते नजर आए. पीएम मोदी के बाद सपा प्रमुख अखिलेश यादव और कांग्रेस नेता राहुल गांधी भी मुरादाबाद मंडल को अपनी सियासी प्रयोगशाला बनाने की कवायद में हैं, जिसके लिए चलते अखिलेश बुधवार को पहुंच रहे हैं तो राहुल गांधी 24 फरवरी से मुरादाबाद से अपनी यात्रा का यूपी में दोबारा आगाज करेंगे. ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर क्या वजह है कि सभी दलों की नजर मुरादाबाद इलाके पर है?

मुरादाबाद मंडल में छह लोकसभा सीटें आती है, जिनमें मुरादाबाद, संभल, रामपुर, बिजनौर, नगीना और अमरोहा सीट शामिल है. इस इलाके में मुस्लिम वोटर काफी निर्णायक भूमिका में है. 2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी मुरादाबाद मंडल की सभी सीटें हार गई थी जबकि सपा और बसपा गठबंधन ने सबसे बेहतर प्रदर्शन इसी इलाके में किया था. दोनों ही पार्टियां तीन-तीन सीटें जीतने में कामयाब रही थी. इसके बाद 2022 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी को इसी मुरादाबाद क्षेत्र में सबसे ज्यादा चुनौतियों से जूझना पड़ा था और विपक्षी भारी पड़ा था.