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चर्चिल के एक बयान से जिन्ना हुए मजबूत, बंटवारे और आजादी के आखिरी दिनों की कहानी

जिन्ना ने संविधान सभा पर सवाल खड़े करके दिखा दिया था कि वह देश के बंटवारे से कम में मानने को तैयार नहीं, उनकी इस मांग को विंस्टन चर्चिल ने ब्रिटिश संसद में एक बयान देकर हवा दे दी. हालांकि उस समय के पीएम क्लिमेण्ट रिचर्ड एट्ली ने 1948 से पहले ही भारत की आजादी के लिए लॉर्ड माउंटबेटन को हिंदुस्तान भेजने का फैसला कर लिया था. जिन्ना अभी देश के बंटवारे पर अड़े हुए थे और महात्मा गांधी कांग्रेस को यह मनाने में लगे थे कि जिन्ना को देश की कमान सौंप दी जाए, ताकि बंटवारे को टाला जा सके.

कांग्रेस की मीटिंग में महात्मा गांधी ने इस बात को रखा तो कोई भी यह मानने को तैयार नहीं था कि किसी ऐसे तानाशाह को देश की कमान दी जाए. इस बैठक में निर्णय लिया गया कि अगर शरीर के किसी हिस्से में गैंग्रीन हो जाए तो उसको काटना ही बेहतर होगा. देश का बंटवारे अब टाला नहीं जा सकता था. इधर संविधान सभा हिंदुस्तान के तिरंगे, तराना और राजे-रजवाड़ों को एक साथ लाने के काम में जुट गई.

चर्चिल के बयान से जिन्ना हुए मजबूत

दिसंबर 1946 में संविधान बनाने का काम शुरू होते ही ब्रिटेन के पूर्व प्रधानमंत्री विंस्टन चर्चिल ने 600 साल पुरानी ब्रिटिश पार्लियामेंट से सिर्फ 6 दिन पुरानी भारत की संविधान सभा पर जोरदार आक्रमण किया. लंदन के हाउस ऑफ़ कॉमंस में चर्चिल ने कहा कि यह संविधान सभा भारत के केवल एक धर्म के लोगों की नुमाइंदगी करती है और यह असेंबली सिर्फ हिंदुओं की एक सभा है.