भारत को कृषि की राह पर ले जाने, भारत में कृषि को नया आयाम देने वाले, भारत को कृषि क्षेत्र में आत्मनिर्भर की ओर ले जाने वाले, जिसे कृषि क्षेत्र का जनक कहा जाता है। जिसने इस धरा में तमाम तरह की उपजाउ खेतियां की आज वो इस धरा को अलविदा कह आखिरी सलाम कर चुका है। बेहद ही दुख है, ग्लनि है। खिलखिलाती धरा भी आज मुरझा गई है। जिसका मन आज बेहद ही उदास है। धरा का लाल कृषि क्षेत्र का महान वैज्ञानिक एमएस स्वामीनाथन ने सांसे थम गई। इस दुखद खबर के सामने आने के बाद से हर कोई सदमे में है। हर कोई शोक सवेदना दुख प्रकट कर रहा है। वैज्ञानिक एसएस स्वामी नाथन के अचानक से गुजर जाने से पूरे भारत के कृषि क्षेत्र के लिए एक बड़ी क्षति के तौर पर देखा जा रहा है।
भारत के महान वैज्ञानिक अपनी बढ़ती उम्रदराज से वृद्धावस्था की वजह से चेन्नई के एक निजी अस्पताल में सुबह करीब 11.20 पर अतिंम सांस ली। जिन्हें हरित क्रांति के जनक के रूप में भी जाना जाता है। इन्होंने इस कृषि क्षेत्र में अपनी पूरा योगदान दिया। इस क्षेत्र में अपनी मेहनत की स्याही से तरक्की के कई आयाम भी लिखे। और साथ ही साथ कृषि क्षेत्र को आत्मनिर्भर बनाने के लिए हमेशा से प्रयासरत रहे। जिसके लिए अपनी पूरी ताकत तक झोंक दी।
इतना ही नहीं देश में आपातकाल में किसानों और सराकरी नीतियों सहित वैज्ञनिकों की मदद से उस कठिन समय में सामाजिक क्रांति लाई। उन्होने अंतर्राष्ट्रीय चावल अनुसंधान केंद्र निर्देशक के तौर पर भी कार्यरत रहे है। उनके सर्वश्रेष्ठ कामों लगभग 40 से ज्यादा पूरूषकारों से नवाजा गया। इन्हेंने अपने समय में कृषि क्षेत्र को नई राह देने व उसे आसान बनाने के लिए कई कदम उठाए जिसमें उन्हें सफलता भी हासिल हुई।