चौदह वर्ष बाद सीता अयोध्या में सखियों बीच पहुंची थीं. इस लंबे समय के सीता के वनवास के अनुभवों को जानने की सखियों में उत्सुकता थी. लंका और रावण को लेकर उनमें स्वाभाविक उत्कंठा थी. कैसी थी लंका? कैसा था रावण? “कृतिवास रामायण” के अनुसार सरोवर में स्नान करते राम ने धोबी के मुख से सुना, “इतने दिनों रावण के यहां रहने के बाद सीता पवित्र कैसे रह सकती हैं?” मर्यादा पुरुषोत्तम राम की राजमहल में वापसी हृदय-मस्तिष्क में संदेह के कीड़े के साथ हुई.
वहां संदेह को विस्तार देने के लिए दूसरा कारण उपस्थित था. कथा के अनुसार सखियों ने सीता से जिज्ञासा के चलते रावण का चित्र बनाने को कहा. सीता ने फर्श पर रावण का चित्र बना दिया. सखियां चली गईं. थकी सीता फर्श पर बने चित्र के बगल सो गईं. पहले धोबी के आक्षेप और फिर वापसी में रावण के चित्र के बगल सोती सीता को देख राम का संदेह और पुख्ता हो गया. चंद्रावती कृत 16वीं सदी बांग्ला रामायण “गाथा” के अनुसार कैकेयो की पुत्री कुकुआ के बहकावे में सीता ने रावण का चित्र बनाया था.