एनसीआरबी के अनुसार, 2022 में पूरे भारत में आईपीसी की धारा 153ए के तहत 1,500 से अधिक मामले दर्ज किए गए, जो नफरत भरे भाषण के अपराधों सहित विभिन्न समूहों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देता है। इन मामलों में 2021 से 31.25 प्रतिशत की वृद्धि हुई है, लेकिन 2020 से 15.57 प्रतिशत की गिरावट आई है।
डेटा से पता चला कि पिछले साल, इनमें से सबसे अधिक 1,523 मामले उत्तर प्रदेश (217) में दर्ज किए गए थे, इसके बाद राजस्थान (191), महाराष्ट्र (178), तमिलनाडु (146), तेलंगाना (119), आंध्र प्रदेश (109), और मध्य प्रदेश ( 108) से हैं। साल 2020 में, ऐसे सात राज्य थे जिनमें प्रत्येक में 100 से अधिक ऐसे मामले थे - आंध्र प्रदेश, असम, कर्नाटक, राजस्थान, तमिलनाडु, तेलंगाना और उत्तर प्रदेश। एनसीआरबी के इसी वर्ष के आंकड़ों से पता चलता है कि 2020 में तमिलनाडु में सबसे अधिक 303 मामले दर्ज किए गए।
वहीं अगर साल 2022 की बात करें तो मध्य प्रदेश में ऐसे अपराधों की संख्या लगभग तीन गुना बढ़कर 108 हो गई, जो 2021 में 38 थी। आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, राज्य में 2020 में ऐसे 73 मामले दर्ज किए गए थे।कुछ राज्यों में तो आंकड़े 2021 से बढ़कर 2022 में दोगुने से भी ज्यादा हो गए।