भारतीय सेना के पूर्व प्रमुख जनरल मनोज मुकुंद नरवणे ने अपनी किताब में लद्दाख की उस घटना का जिक्र किया है, जिसमें सेना के 20 जवान मारे गए थे. उन्होंने कहा कि वो समय उनकी करियर के सबसे दुखद दिनों में एक था. पूर्व चीफ ने चीन को लेकर कहा कि शी जिनपिंग 16 जून 2020 की उस तारीख को नहीं भूल पाएंगे, जब दो दशकों में पहली बार चीनी सेना को घातक जवाबी हमले का सामना करना पड़ा था. उन्होंने कहा कि भारतीय सेना ने दिखा दिया कि “बस! अब बहुत हो चुका.”
पूर्व आर्मी चीफ जनरल नरवणे ने कहा कि चीन अपने छोटे पड़ोसियों को डराने-धमकाने के लिए “आक्रामक कूटनीति” और “भड़काऊ” रणनीति अपनाता रहा है और यही वजह थी कि भारतीय सेना ने पिपुल्स लिब्रेशन आर्मी को अपनी ताकत दिखा दी. पूर्व चीफ ने ‘फोर स्टार्स ऑफ डेस्टिनी’ नाम से अपनी आत्मकथा लिखी है और इसमें उन्होंने विस्तार से गलवान घाटी की घटना पर चर्चा की है.