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16 दिन की सुनवाई, 370 हटाने के विरोध में 14 वकीलों की दलीलें

11 दिसंबर, वह तारीख होगी जिस दिन सुप्रीम कोर्ट ये तय कर देगा कि आर्टिकल 370 को निष्प्रभावी करने का भारत सरकार का फैसला सही था या नहीं. भारत सरकार ने 5 अगस्त 2019 को अनुच्छेद 370 को निरस्त कर दिया था. इस फैसले के बाद जम्मू कश्मीर को मिला विशेष राज्य का दर्जा छिन गया. कुल 26 वकीलों की दलीलों और संविधान के पन्नों की रौशनी में कोर्ट को यही परखना है कि सरकार ने जो फैसला तब किया था वह संविधान सम्मत था भी या नहीं.

न सिर्फ धारा 370 को निष्प्रभावी किये जाने पर बल्कि ऊपरी अदालत इस पर भी फैसला सुनाने वाला है कि भारत सरकार आर्टिकल 370 के खात्मे के साथ जो जम्मू कश्मीर पुनर्गठन कानून लेकर आई, वह भी उचित था या नहीं? इसी के तहत जम्मू कश्मीर राज्य को दो हिस्सों में बांट दिया गया. जम्मू कश्मीर राज्य न रह कर अब केंद्रशासित प्रदेश हो गया. कहा गया यह दिल्ली और पुड्डुचेरी जैसा यूनियन टेरिटरी होगा जिसकी अपनी विधानसभा होगी. वहीं लद्दाख को जम्मू कश्मीर से काट कर एक अलग केंद्रशासित प्रदेश कर दिया गया. हालांकि नए कानून में लद्दाख के लिए विधानसभा की व्यवस्था नहीं थी.