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क्यों बढ़ रहा हार्ट अटैक का खतरा, जानें किसे ज्यादा जोखिम और कैसे करें इससे बचाव

बदलती लाइफस्टाइल और खानपान की आदतों में बदलाव इन दिनों लोगों को कई बीमारीयों का शिकार बना रही है। दिल की बीमारी इन्हीं समस्याओं में से एक है। हाल के दिनों में दिल के दौरे के मामलों में काफी वृद्धि आई है। हार्ट अटैक एक मेडिकल इमरजेंसी है, जिसमें खून का थक्का दिल में ब्लड फ्लो को रोक देता है और हार्ट के टिशूज में ऑक्सीजन की कमी हो जाती है। WHO के अनुसार, साल 2016 में कार्डियोवैस्कुलर डिजीज (CVD) से अनुमानित 18 मिलियन के करीब लोगों की मौत हुई, जो दुनियाभर में हुई सभी मौतों का 31% है। इनमें से 85% मौतें दिल का दौरा और स्ट्रोक के कारण हुईं। दिल के दौरे के लिए कई सारे कारक जिम्मेदार होते हैं, जिनमें से एक वायु प्रदूषण भी है। कई अध्ययनों से पता चलता है कि वायु प्रदूषण दिल के दौरे, स्ट्रोक और इर्रेगुलर हार्ट रिथम को ट्रिगर कर सकता है।

वायु प्रदूषण की वजह से हार्ट अटैक का खतरा होता है। इनमें बुजुर्ग लोग और हृदय रोग या स्ट्रोक के जोखिम कारकों वाले लोगों को खतरा ज्यादा हो सकता है। इसके अलावा दिल का दौरा, एनजाइना, बाईपास सर्जरी, स्टेंट के साथ या उसके बिना एंजियोप्लास्टी, स्ट्रोक, गर्दन या पैर की आर्टरीज में रुकावट, हार्ट फेलियर, डायबिटीज या क्रोनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज वाले वालों को ज्यादा खतरा होता है। अगर आप 45 वर्ष या उससे अधिक उम्र के पुरुष हैं या 55 वर्ष या उससे अधिक उम्र की महिला हैं, तो आप पर खतरा ज्यादा है।
आपके परिवार में स्ट्रोक या अर्ली हार्ट डिजीज का इतिहास है। इसके अलावा अगर आपको हाई ब्लड प्रेशर या हाई कोलेस्ट्रॉल की समस्या है, तो भी आप पर हाई रिस्क है। अगर आपका वजन अधिक है या आप शारीरिक रूप से सक्रिय नहीं हैं और अगर आप सिगरेट पीते हैं।