फिल्म अभिनेता रघुबीर यादव का कहना है कि एक्टिंग लफ्ज से वो नफरत करते हैं। उनका कहना है कि ये शब्द इस पेशे की अहमियत को कम कर देता हैं। वो एक्टिंग को "आध्यात्मिक यात्रा" के बराबर मानते हैं।
राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय (एनएसडी) से स्नातक रघुबार यादव का मानना है कि पात्रों की गहराई में जाना अहम है, भले ही इसके लिए आपको बहुत मेहतन करनी पड़े। "एक्टिंग लफ्ज है वो मेरे लिए बहुत खतरनाक है उससे मैं बड़ी नफरत करता हूं। लफ्ज से की जैसे ही जेहन में आया एक्टिंग तो वो होने लगे तो मैं वो नहीं करना चाहता ये बहुत पहले मेरे जेहन से निकल गया जब डूबने की कोशिश करता हूं। समझने की कोशिश करता हूं कि थोड़ा सा अभी पहुंच जाऊं और जैसे आप लोग कि चलिए यादव साहब इनकी एक्टिंग कर दीजिए तो वो जो है फिर वो एक्टिंग करने भेज देते हैं तो वहां मुझे राय मिल जाती है।'
यादव ने इंटरव्यू में कहा, "फिर, ये एक चरित्र का अभिनय है, न कि किसी चरित्र की आत्मा में उतरना। आपको चरित्र को महसूस करने और उसकी आत्मा को पकड़ने की जरूरत है। मुझे गहराई में जाने में मजा आता है।"
66 वर्षीय मीरा नायर की 1988 की फिल्म सलाम बॉम्बे की तैयारी के दौरान याद करते हैं, जिसमें उन्होंने एक ड्रग एडिक्ट चिलम का किरदार निभाया था, उन्होंने नाना पाटेकर की सलाह पर वास्तविक जीवन के नशेड़ी लोगों के साथ कुछ समय बिताया था।
उन्होंने कहा, "मैंने कभी सिगरेट भी नहीं पी और मुझे ड्रग एडिक्ट बना दिया गया सलाम बॉम्बे में, चिलम। तो वहां पर फिर वही था कि डूबने वाली जो बात पर रहा था। मैंने कभी नहीं डुबकियां मारी नाना से कहा कि ये क्या तरीका है तो वो मुझे उनके पीछे बिठाकर आ गया। यहां तो लोग कहते हैं कॉमेडियन बना दो या ये बना दो उससे मैं बिल्कुल इत्तेफाक नहीं रखता। तो मैं वहां से भागा कि भूखा मर जाउंगा पर ये नहीं करूंगा।"
एनएसडी से स्नातक होने के बाद यादव मुंबई चले गए और उनकी पहली फिल्म 1985 की "मैसी साहब" थी। फिल्म में उनके प्रदर्शन के लिए उन्हें कई प्रतिष्ठित पुरस्कार मिले, जिनमें वेनिस फिल्म फेस्टिवल में सर्वश्रेष्ठ अभिनेता के साथ क्रिटिक्स अवार्ड भी शामिल है।
जबलपुर में जन्मे अभिनेता ने इसके बाद "मुंगेरी लाल के हसीन सपने", "मुल्ला नसरुद्दीन" जैसे यादगार टीवी शो किए और "धारावी", "बैंडिट क्वीन", "लगान" 'फ़िराक'', ''पीपली लाइव'', ''न्यूटन'' और ''पगलैट'' में
में दमदार भूमिकाएँ निभाईं।
डिजिटल प्लेटफार्मों में यादव को "पंचायत", "द ग्रेट इंडियन मर्डर" और "रे" जैसी सीरीज में दिलचस्प किरदारों में जान डाली।