दिल्ली हाईकोर्ट ने एम्स के मेडिकल सुपरिटेंडेंट को निर्देश दिया है कि वो 26 हफ्ते के गर्भ को गिराने की मांग कर रही 20 साल की महिला की जांच के लिए एक बोर्ड का गठन करें। हाईकोर्ट ने गुरुवार को एम्स से महिला की जांच के बाद अपनी रिपोर्ट सौंपने को कहा है। दिल्ली हाईकोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई के लिए 28 नवंबर की तारीख तय की है।
महिला ने अपनी याचिका में कहा कि वो सहमति से बने संबंध के जरिए गर्भवती हुई थी लेकिन उसे हाल ही में गर्भवती होने के बारे में पता चला। उसने कहा कि उसे पहले गर्भावस्था के बारे में पता नहीं चला था और हाल ही में उसे चिकित्सा से जुड़ी कुछ मुश्किलों का सामना करना पड़ा। महिला ने कहा कि जब उसने एक डॉक्टर से परामर्श किया, तो उसे 16 नवंबर को पता चला कि वो गर्भवती है।
उसने गर्भपात के लिए डॉक्टरों से परामर्श किया क्योंकि वो बच्चे को जन्म देने की हालत में नहीं है, लेकिन डॉक्टरों ने इनकार कर दिया क्योंकि गर्भ की अवधि 24 हफ्ते की सीमा से ज्यादा थी।
महिला ने मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेग्नेंसी (एमटीपी) अधिनियम के तहत अपने 26 हफ्ते के गर्भ को चिकित्सीय रूप से खत्म करने की अनुमति मांगी थी।