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Delhi-Ncr में बढते प्रदूषण पर सुप्रीम कोर्ट का दखल, 5 राज्यों से मांगी राय

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को दिल्ली, पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और राजस्थान सरकार को हलफनामा दायर कर ये बताने का निर्देश दिया कि उन्होंने वायु प्रदूषण को काबू में करने के लिए कौन से कदम उठाए हैं। जस्टिस एस. के. कौल की अध्यक्षता वाली तीन जजों की बेंच ने इन पांच राज्य सरकारों को एक हफ्ते के अंदर हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया है। बेंच में जस्टिस सुधांशु धूलिया और जस्टिस पी. के. मिश्रा शामिल थे। उन्होंने कहा कि पराली जलाना दिल्ली में वायु प्रदूषण का अहम कारण है।

सुप्रीम कोर्ट ने पहले दिल्ली और उसके आसपास वायु प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए उठाए जा रहे कदमों पर वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (सीएक्यूएम) से रिपोर्ट मांगी थी। दिल्ली और उसके उप-नगरों में मंगलवार को सड़कों पर धुंध छाई रही, जिससे लगातार चौथे दिन राष्ट्रीय राजधानी की वायु गुणवत्ता बहुत खराब श्रेणी में दर्ज की गई। सुबह 10 बजे शहर का औसत एक्यूआई 350 दर्ज किया गया, जो इस सीजन में अब तक सबसे ज्यादा है।

दिल्ली से सटे गाजियाबाद में एक्यूआई 232, फरीदाबाद में 313, गुरुग्राम में 233, नोएडा में 313 और ग्रेटर नोएडा में 356 दर्ज किया गया। 0 और 50 के बीच के एक्यूआई को अच्छा, 51 से 100 को संतोषजनक, 101 से 200 को मध्यम, 201 से 300 को खराब, 301 से 400 को बहुत खराब और 401 से 500 को गंभीर माना जाता है। प्रतिकूल मौसम संबंधी स्थितियां और प्रदूषण के दूसरे स्रोतों के अलावा पटाखों और पराली जलाने से होने वाले प्रदूषण का मिश्रण सर्दियों के दौरान दिल्ली-एनसीआर की वायु गुणवत्ता को खतरनाक स्तर तक पहुंचा देता है।

दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (डीपीसीसी) की तरफ से किए गए एक विश्लेषण के अनुसार, राष्ट्रीय राजधानी में एक नवंबर से 15 नवंबर तक प्रदूषण चरम पर होता है, जब पंजाब और हरियाणा में पराली जलाने की घटनाओं की संख्या बढ़ जाती है। पंजाब सरकार का लक्ष्य इस सर्दियों के मौसम में पराली जलाने की घटनाओं को 50 प्रतिशत तक कम करना और छह जिलों- होशियारपुर, मलेर कोटला, पठानकोट, रूपनगर, एसएएस नगर (मोहाली) और एसबीएस नगर में पराली जलाने को पूरी तरह खत्म करना है। हरियाणा भी इस दौरान अपने यहां पराली जलाने की घटनाओं को खत्म करने की कोशिश करेगा।