New Delhi: सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को इलेक्टोरल बॉन्ड स्कीम रद्द कर दी। अपने फैसले में कोर्ट ने कहा कि चुनावी बॉन्ड के जरिये राजनैतिक दलों को गुमनाम कॉर्पोरेट योगदान सूचना के अधिकार और संविधान के तहत बोलने की स्वतंत्रता का उल्लंघन है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि निजता के मौलिक अधिकार में नागरिकों की राजनैतिक निजता और संबद्धता का अधिकार शामिल है।
सुप्रीम कोर्ट ने बैंकों को इलेक्टोरल बॉन्ड जारी करने पर रोक लगाने का निर्देश दिया है। चीफ जस्टिस डी. वाई. चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने पिछले साल दो नवंबर को इस मामले में अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था।
सरकार ने दो जनवरी 2018 को इस योजना को नोटिफाई किया था और इसे राजनैतिक चंदे में पारदर्शिता लाने की कोशिशों के तहत राजनैतिक दलों को मिलने वाले नकद चंदे के विकल्प के तौर पर पेश किया गया था।
इलेक्टोरल बॉन्ड स्कीम के प्रावधानों के मुताबिक देश का कोई भी नागरिक, कंपनी या संस्था इसे खरीद सकता है।