दिल्ली और उत्तर भारत के कई शहरों में वायु प्रदूषण खतरनाक स्तर तक पहुंच चुका है। ऐसे में हरियाणा और पंजाब जैसे राज्यों में पराली जलाने से होने वाले प्रदूषण को लेकर बयानबाजी हो रही है। हालांकि, चंडीगढ़ के पीजीआई स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ के अध्ययन में दावा किया गया है कि इस साल दिल्ली की हवा में होने वाले प्रदूषण में पराली जलाने से हो वाले प्रदूषण की हिस्सेदारी सिर्फ आठ प्रतिशत ही है।
अध्ययन के मुताबिक पिछले साल के मुकाबले पराली जलाने के मामलों में 45 प्रतिशत की कमी आई है। इस साल इसमें और कमी आने की उम्मीद है। डॉ. खाईवाल के मुताबिक कई वजहों से हरियाणा में पराली जलाने के मामले पंजाब के मुकाबले कम हैं। लेकिन उन्होंने कहा कि दोनों राज्य सरकारों ने उद्योगों में पराली के इस्तेमाल की पहल की है।
डॉ. खाईवाल का मानना है कि मौसम के हालात, हवा की दिशा और प्रदूषण के दूसरे स्रोतों की वजह से इस साल दिल्ली में प्रदूषण बढ़ा है। पीजीआई के मुताबिक दिल्ली की हवा खराब करने में पहले पराली जलाने की हिस्सेदारी करीब 46 प्रतिशत रहती थी, लेकिन अब ये आठ प्रतिशत से ज्यादा नहीं है।